Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand News: जीत पर झूमे, लेकिन अंदर नाराजगी; शुरुआत से ही कांग्रेस विधायकों की 'फूफा' जैसी स्थिति

    सत्ता के गलियारों से आ रही खबरों के अनुसार कांग्रेस झारखंड में फूफा जैसी स्थिति में है। मंत्रिमंडल विस्तार में हुई गड़बड़ियों और नेताओं की नाराजगी ने पार्टी की छवि को धूमिल किया है। दूसरी ओर भाजपा भी राज्य में नेतृत्व को लेकर असमंजस में है। विपक्षी दलों के बढ़ते प्रभाव के बीच दोनों ही दलों के लिए आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हैं।

    By Pradeep singh Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 08 Dec 2024 02:58 PM (IST)
    Hero Image
    कैबिनेट गठन के पहले और फिर बाद में भी रूठे कांग्रेस के नेता

    जागरण संवाददाता, रांची। सामान्य तौर पर जैसे बरात में दूल्हे के फूफा की स्थिति होती है, ठीक वैसी ही स्थिति में कांग्रेस जा रही है। हर काम में मुंह फुलाना, रूठ जाना जैसे कांग्रेसी नेताओं की स्थायी मन:स्थिति बन गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झारखंड में भी बड़े धूमधाम से सरकार बनी। काफी मजबूत बनकर उभरे क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के सर्वेसर्वा हेमंत सोरेन के कंधे पर सवार होकर कांग्रेस ने चुनावी नैया पार कर ली, जिसका इन्हें कभी भरोसा नहीं था।

    अब होना यह चाहिए था कि कांग्रेस ठीक-ठाक से शुरूआत होने देती, लेकिन आरंभ से ही यहां रुठने का क्रम शुरू हो गया और जैसा कि बरात में दूल्हे के फूफा का होता है। बगैर मनाए इनके नेता अपने आप मान भी गए और बराती बनकर नाचे भी। मंत्रिमंडल के विस्तार के पहले और बाद में भी इनके नेताओं का रोल पूरे झारखंड ने देखा।

    विभाग बंटने के पहले गोपनीय चिट्ठी लीक होने के प्रकरण ने सारी मिट्टी पलीद कर दी। यही हाल रहा तो ऐतिहासिक पार्टी का कोई ना कोई नेता फूफा की तरह हमेशा कोपभवन में ही बैठा नजर आएगा।

    एक अनार, कितने बीमार

    झारखंड में मंत्रिमंडल विस्तार में कितनों की गाड़ी छूट गई। वो जो ये कहते फिर रहे थे कि उनका तो रिजर्वेशन पक्का हो चुका है, उनकी स्थिति ज्यादा खराब हुई। सबसे ज्यादा फजीहत में यही रहे, जिनका नया सूट दर्जी के यहां ही टंगा रह गया।

    राजद ने सबसे पहले जब अपने विधायक दल का नेता सुरेश पासवान को चुन लिया तो इससे स्पष्ट मैसेज गया कि लालबत्ती उन्हें ही हासिल होगी। भीतर-बाहर से जमकर बधाईयां और शुभकामनाओं के साथ-साथ पैरवी की पोटली भी आने लगी।

    लोग-बाग मंडराने लगे, लेकिन पड़ोस के संजय प्रसाद यादव के हाथ बाजी लग गई। कहा जाता है कि बुरे समय में भी लालू प्रसाद का साथ देने का उन्हें प्रतिफल मिला कि दूसरे संजय भी देखते रह गए। अब लालबत्ती के जरिए वही लालटेन की चकाचौंध झारखंड में फैलाएंगे।

    उधर विरोध, इधर सराहना

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर कॉर्पोरेट जगत के दो दिग्गजों का नाम लेकर खामियां गिनाते हैं। प्रहार करने और आरोप लगाने का कोई मौका वे नहीं चूकते, लेकिन झारखंड में उनके दल के भीतर तो उल्टी गंगा बह रही है। वे जिनका नाम लेकर आग उगलते हैं, उनके गुणगान का मौका यहां के चंद नेता हाथ से नहीं निकलने देते।

    इस बार उनके एक करीबी को बड़ा मौका मिल गया तो उनका गुणगान वाला कटिंग पहुंच गया कांग्रेस मुख्यालय। अब संदेश दिया जा रहा है कि पार्टी लाइन से हटकर काम करने के जोखिम बहुत हैं।

    यही हाल रहा तो आगे मुश्किल हो सकता है। पींगे बढ़ाने वाले नेताओं ने भी दलील दी है कि वह तो पहले की बात है। आगे से भूलकर भी बड़ाई नहीं करेंगे।

    किसको दें कमान

    झारखंड में तीर-कमान ने ऐसा कमाल दिखाया है कि भाजपा को यह सूझ नहीं रहा कि राज्य में कमान आखिरकार किसको दें। चुनाव के पहले सरकार की उल्टी गिनती करने वाले नेताओं ने कुछ महीनों का मौन व्रत ले लिया है।

    ये वही हैं, जो सुबह-शाम बैठकर कैबिनेट का गठन कर रहे थे। कुछ तो उन दरवाजों तक रात के अंधेरे में भी दस्तक दे रहे हैं, जिनको जबरन यहां से भगाने तक का अल्टीमेटम दे दिया था।

    बताते फिर रहे हैं कि दुश्मनों ने कुछ ज्यादा ही रायता फैला दिया। कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस में भी है। यहां भी सबसे अधिक चिंता विधायक दल का नेता चुनने की है।

    खैर, भाजपा को बैठे-बिठाए सुझाव भी आ गया है कि ज्यादा दिक्कत हो तो बाहर से बुलाकर नेता पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनके नाम तक भी सुझाए जा रहे हैं जो चुनाव में यहां खासतौर पर तैनात किए गए थे।

    ये भी पढ़ें

    Jharkhand News: मंत्री पद की रेस में पीछे रह गए कांग्रेस के ये 3 दिग्गज, अब चुने जा सकते हैं विधायक दल का नेता

    Jharkhand Cabinet: बस 2 महीने के अंदर... पहली मीटिंग में ही दिख गए हेमंत के इरादे; सारे मंत्री चौकन्ने!