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    झारखंड पुलिस को साइबर ठगी के मामले में बड़ी सफलता: 1.04 करोड़ पर हाथ साफ करने वाले बिहार से दो आरोपित गिरफ्तार

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Mon, 28 Aug 2023 03:12 PM (IST)

    Jharkhand पुलिस ने 1.04 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में बिहार से दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। यह ठगी दो अलग-अलग लोगों से दो अलग-अलग तरीकों से की गई है जिसे लेकर साइबर अपराध थाने में प्राथमिकी दर्ज है। इनके पास से दो मोबाइल दो सिमकार्ड चार आधारकार्ड दो पैन कार्ड 11 एटीएम व एक वोटर आईडी कार्ड बरामद किया गया है।

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    पकड़े गए दोनों आरोपितों को पुलिस ने किया गिरफ्तार।

    राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News: सीआईडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने 1.04 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में बिहार से दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। यह ठगी दो अलग-अलग लोगों से दो अलग-अलग तरीकों से की गई है, जिसे लेकर साइबर अपराध थाने में प्राथमिकी दर्ज है। एक प्राथमिकी पांच जुलाई को शिल्पी सिंह ने 84.32 लाख रुपये की ठगी के संबंध में, तो दूसरी प्राथमिकी 19 जुलाई को डा. विनय मिश्रा ने 20.40 लाख रुपये की ठगी के संबंध में दर्ज कराई है।

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    पुलिस ने दोनों को किया गिरफ्तार

    छानबीन के क्रम में साइबर अपराध थाने की पुलिस ने जिन दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है, उनमें बिहार के अररिया जिले के परहरी वार्ड नंबर 06 निवासी जितेंद्र कुमार व बिहार के भागलपुर जिले के सन्हौला थाना क्षेत्र के मंदिर टोला सन्हौला निवासी हर्षवर्धन चौबे शामिल हैं।

    आरोपितों के पास से कई चीजें बरामद

    हर्षवर्धन चौबे मूल रूप से भागलपुर के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के तरडीहा का रहने वाला है। उसकी गिरफ्तारी डा. विनय मिश्रा से 20 लाख 40 हजार रुपये की ठगी के मामले में हुई है। जितेंद्र कुमार की गिरफ्तारी शिल्पी सिंह से 84.32 लाख रुपये की ठगी मामले में हुई है।

    बिहार पुलिस के सहयोग से साइबर अपराध थाने की पुलिस ने दोनों गिरफ्तारियां की है। इन आरोपितों के पास से पुलिस ने दो मोबाइल, दो सिमकार्ड, चार आधारकार्ड, दो पैन कार्ड, 11 एटीएम व एक वोटर आईडी कार्ड बरामद किया है।

    किससे कैसे हुई ठगी

    केस एक: यूट्यूब पर वीडियो लाइक कर पार्ट टाइम जाॅब करने नाम पर झांसे में लिया और खाते से उड़ाए 84.32 लाख रुपये।

    दिल्ली में अधिवक्ता रहीं रांची की शिल्पी सिंह से साइबर अपराधियों ने 84 लाख 32 हजार 100 रुपये की ठगी की है। शिल्पी ने पांच जुलाई को सीआईडी के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उन्हें टेलीग्राम पर इंटरनेशनल वर्चुअल नंबर के माध्यम से संपर्क किया गया था।

    उन्हें यूट्यूब पर वीडियो लाइक करके पार्ट टाइम जाॅब करने का काम दिया गया। इसके बाद उन्हें एक अन्य टेलीग्राम प्रोफाइल से संपर्क कर यूआरएल एचटीटीपीएस://आई.एमई/-एमडब्ल्यूपीडब्ल्यू-यूक्यूओवाईईएमओएमआइएएल पर रजिस्टर कर वीडियो लाइक करने का काम दिया गया।

    इस यूआरएल के माध्यम से दिए गए टास्क को करने के लिए शिल्पी को विभिन्न खातों में पैसे डालने के लिए बोला गया। वह थोड़ा-थोड़ा कर पैसा डालती गईं और जालसाजों के चंगुल में फंसती चली गईं।

    साइबर अपराधियों ने शुरू में इनके खाते में कुछ पैसे डाले, लेकिन बाद में पैसे डालना बंद कर दिया। इस तरह इनके साथ कुल 84 लाख 32 हजार 100 रुपये की साइबर ठगी कर ली गई।

    केस दो: एसबीआई का कस्टमर केयर अधिकारी बनकर केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर की 20.40 लाख की ठगी। रांची के बरियातू निवासी डा. विनय कुमार मिश्रा ने 19 जुलाई को साइबर अपराध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

    उन्होंने बताया था कि अज्ञात साइबर अपराधियों ने एसबीआई का कस्टमर केयर अधिकारी बनकर उन्हें केवाइसी अपडेट करवाने के नाम पर उनसे खाते का ब्यौरा मांग लिया। इसके बाद अपराधियों ने उनके खाते से कुल 20 लाख 40 हजार 368 रुपये का अवैध हस्तांतरण करते हुए ठगी कर ली।

    इन अपराधियों से ऐसे बचें

    • किसी भी अनधिकृत एप का इस्तेमाल करने से बचें। व्यक्तिगत जानकारी किसी के साथ शेयर या साझा न करें।
    • वाट्सएप, टेलीग्राम, गूगल एड्स के माध्यम से भेजे जाने वाले वार्ट टाइम जाब से संबंधित विज्ञापन के लिंक पर क्लिक न करें, न हीं लिंक के माध्यम से किसी वेब पोर्टल या एप पर रजिस्टर करें।
    • अपने डेटा को सिक्योर रखने के लिए अपने एप के परमिशन की हमेशा जांच करते रहें।
    • सेंडर एड्रेस पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। इस तरह के मैसेज मिलने पर ये देखें कि किस तरह के नंबर से मैसेज आ रहा है। वर्चुअल, इंटरनेशनल नंबर या बल्क एसएमएस कोड्स को तुरंत ब्लाक करें।
    • मैसेज में जिस कंपनी का नाम नहीं दिया गया है, उसे गूगल पर चेक करें। पता करें कि इस नाम की कोई कंपनी है या नहीं, अगर है तो उस कंपनी की वेबसाइट पर चेक करें कि कोई ऐसी वैकेंसी निकली है या नहीं।
    • इस तरह के मैसेज के बाद जाब आफर करने वाला अगर रुपयों की मांग करते तो समझ लीजिए वह फ्राड है, क्योंकि कंपनी कभी भी पैसे लेकर जाब नहीं देती।
    • किसी भी अनजान नंबर से काल या मैसेज आने पर ओटीपी शेयर न करें।
    • अगर आप किसी फ्राड के शिकार हो गए हैं तो इसकी शिकायत तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट एचटीटीपीएस://डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट साइबरक्राइम डाॅट जीओवी डाॅट इन पर दर्ज करें तथा इसकी लिखित शिकायत अपने नजदीकी थाना या साइबर सेल या साइबर अपराध थाने में करें।