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    Jharkhand Politics: दुमका में दिखेगी हेमंत सोरेन की पॉलिटिकल पावर, JMM को मजबूत करने पर रहेगा फोकस

    Updated: Fri, 31 Jan 2025 06:00 AM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) 2 फरवरी को पार्टी स्थापना दिवस मनाएगी। उप-राजधानी दुमका में इस बार भव्य तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। पिछले साल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जेल में थे जिस वजह से कार्यक्रमों के आयोजन पर असर पड़ा था। इस बार बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है। CM हेमंत सोरेन इस मौके पर झामुमो की भविष्य की संगठनात्मक रणनीति पर फोकस करेंगे।

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    दो फरवरी को झामुमो मनाएगी पार्टी स्थापना दिवस। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य की सत्ता में शानदार वापसी के बाद सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अब संगठन का भी दमखम दिखाएगा। इसकी झलक दो फरवरी को उप-राजधानी दुमका में दिखेगी। पिछले साल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जेल में थे, जिस वजह से कार्यक्रमों के आयोजन पर असर पड़ा था।

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    दो फरवरी को पार्टी अपना स्थापना दिवस मनाएगी। पार्टी स्थापना दिवस का आयोजन वृहद पैमाने पर होगा। इस आयोजन के जरिए शीर्ष नेतृत्व निचले स्तर तक उन मुद्दों पर संदेश देता है, जो संगठन की मजबूती में सहायक सिद्ध हुए हैं। इसमें स्थानीयता से लेकर अन्य कोर एजेंडे हैं।

    हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में विजयी होने के बाद झामुमो की केंद्रीय कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि जीत के उत्साह के साथ-साथ बड़ी जिम्मेदारी भी मिली है। इसका निर्वहन करना है।

    उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि कार्यकर्ताओं को दोहरी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा ताकि समर्थकों का विश्वास कायम रहे। इस लिहाज से इस बार होने वाला स्थापना दिवस समारोह खास होगा। इसकी तैयारी भी बड़े पैमाने पर चल रही है।

    पार्टी नेताओं के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मौके पर झामुमो की भविष्य की संगठनात्मक रणनीति व मुद्दे पर फोकस करेंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले साल हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के कारण इस आयोजन पर असर पड़ा था।

    ठीक एक वर्ष पहले हुई थी गिरफ्तारी

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले वर्ष 31 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया था। आज इस घटनाक्रम के एक वर्ष पूरे हो गए। इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला। हेमंत सोरेन ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर विश्वस्त चम्पई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया।

    लगभग पांच महीने बाद जब वे जेल से रिहा होकर आए तो चम्पई सोरेन को पद छोड़ना पड़ा। हालांकि चम्पई सोरेन ने तत्काल विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटाई। वे हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल हो गए, लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले पाला बदलकर भाजपा में चले गए।

    हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में ही सीता सोरेन ने भी पार्टी छोड़ दी। विपरीत परिस्थितियों में कल्पना सोरेन की सक्रियता से झामुमो को काफी सहारा मिला। इस दौरान हेमंत सोरेन काफी मजबूत होकर उभरे। उन्होंने शानदार तरीके से सत्ता में वापसी करने में कामयाबी पाई।

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