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    बिहार में राष्ट्रपति शासन की तैयारी? JMM ने दागा सवाल, गठबंधन और EC के नए प्रोग्राम पर स्टैंड किया क्लियर

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 08:16 PM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार चुनाव को लेकर चीजें क्लियर की हैं। पार्टी ने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण का विरोध किया है और आरोप लगाया कि भाजपा गैर भाजपाई वोटरों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश रच रही है। झामुमो ने चेतावनी दी है कि यह प्रक्रिया झारखंड में भी लागू हो सकती है और इसके खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।

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    जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने EC के प्रोग्राम पर उठाए सवाल। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने दावा किया है कि बिहार में पार्टी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी। राजद प्रमुख तेजस्वी यादव के साथ इस संदर्भ में बातचीत होगी। पार्टी ने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण का कड़ा विरोध किया है।

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    महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता में कहा कि महाराष्ट्र में वोटर बढ़ाकर भाजपा ने चुनाव जीता और अब बिहार में गैर भाजपाई वोटरों, विशेषकर आदिवासी, दलित, मुस्लिम, और पिछड़े समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश रची जा रही है।

    वोट कटने का खतरा

    बिहार में मतदाता पुनरीक्षण में आधार कार्ड और इपिक नंबर को मान्यता नहीं दी गई है। मांगे गए दस्तावेज 90% ग्रामीणों के पास उपलब्ध नहीं हैं, जिससे गरीब, दलित और प्रवासी मजदूरों के वोट कटने का खतरा है। यह कदम भाजपा को फायदा पहुंचाने की साजिश है।

    उन्होंने चेतावनी दी कि यह प्रक्रिया जल्द झारखंड में भी लागू हो सकती है। झामुमो इसके खिलाफ विपक्ष के साथ मिलकर संघर्ष करेगा, क्योंकि यह संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।

    चुनाव से पहले अराजकता फैलाने की साजिश

    भट्टाचार्य ने कहा कि निर्वाचन आयोग का यह कदम बिहार में चुनाव से पहले अराजकता फैलाने और राष्ट्रपति शासन लागू करने की साजिश है। उन्होंने आरएसएस के सर कार्यवाह के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और पंथनिरपेक्षता शब्द हटाने की मांग की गई।

    उन्होंने कहा कि यह कदम देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शक्ति को कुछ लोगों तक सीमित करने की कोशिश है, जो भाजपा के हित में है। उन्होंने कहा कि समाजवाद और पंथनिरपेक्षता हटाने की मांग संविधान बदलने की ओर इशारा करती है।

    उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बाजार में अब नमो-अंबानी-अडाणी जैसे शब्द समाजवाद की जगह ले रहे हैं। यह लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों पर हमला है।