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    शराब घोटला: पॉपुलर ब्रांड की कंपनियों से नहीं मिला कमीशन, रखे-रखे एक्सपायर हो गए लाखों लीटर बीयर

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 11:25 PM (IST)

    झारखंड में शराब घोटाले के उजागर होने से बीयर कंपनियां और बार मालिक परेशान हैं। कई कंपनियों को नुकसान हुआ क्योंकि उन्हें कम लोकप्रिय ब्रांड बेचने पर मजबूर किया गया। एसीबी जांच में अवैध वसूली का खुलासा हुआ जिससे राजस्व का नुकसान हुआ। बार मालिकों ने शराब आपूर्ति में कमी और बिना बिल शराब खरीदने की शिकायत की है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में शराब घोटाले की परतें खुलने के साथ ही बीयर कंपनियों और बार मालिकों की समस्याएं सामने आ रही हैं। नई शराब नीति लागू होने की उलटी गिनती शुरू होने के बीच कई बीयर कंपनियों ने शिकायत की है कि उन्हें भारी नुकसान हुआ है।

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    उत्पाद विभाग के अधिकारियों के दबाव में एक निम्न स्तर के खास ब्रांड की बीयर को बेचने के लिए मजबूर किया गया, जिससे प्रचलित ब्रांड्स की बिक्री बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई। परिणामस्वरूप, लाखों लीटर बीयर एक्सपायरी डेट पार होने के कारण बर्बाद हो गई।

    उल्लेखनीय है कि बीयर की शेल्फ लाइफ उत्पादन तिथि से छह महीने की होती है और इस अवधि में बिक्री नहीं होने से कंपनियों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी।

    इससे पूर्व एसीबी की जांच में यह खुलासा हो चुका है कि बीयर की प्रति बोतल पर 10 रुपये की अतिरिक्त वसूली से 57 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई। यह राशि सरकारी खजाने के बजाय अधिकारियों की जेब में गई।

    इस घोटाले ने न केवल उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाया, बल्कि राज्य की साख को भी प्रभावित किया है। नुकसान उठाने वाली बीयर कंपनियों की शिकायतों ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।

    एक अप्रैल से बिना बिल बीयर-शराब उठा रहे बार मालिक

    झारखंड बार एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने उत्पाद विभाग को पत्र लिखकर शराब की आपूर्ति और कोटा सिस्टम को लेकर गंभीर शिकायतें दर्ज की हैं।

    बार मालिकों का कहना है कि एक अप्रैल 2025 से लागू नई आबकारी नीति के बाद शराब की आपूर्ति में भारी संकट आ गया है। प्रमुख ब्रांड्स, विशेष रूप से बीयर की अनुपलब्धता के कारण बार संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

    इसके बावजूद उन्हें कम लोकप्रिय ब्रांड्स को कोटा के तहत खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो ग्राहकों की पसंद नहीं हैं। इससे बिक्री प्रभावित हो रही है और बार मालिकों पर टैक्स व जुर्माने का दबाव बढ़ रहा है।

    बार मालिकों ने यह भी शिकायत की है कि आबकारी कार्यालय द्वारा जारी अनुमति के तहत शराब दुकानों से नकद में शराब खरीदने को कहा जा रहा है, लेकिन इसके लिए कोई बिल नहीं दिया जा रहा।

    यह प्रक्रिया आयकर कानूनों का उल्लंघन है और बार संचालकों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। एसोसिएशन की मांग है कि शराब की आपूर्ति बहाल की जाए और बिलिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।