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    Jharkhand IAS Officer: झारखंड के IAS अफसरों के पास कितनी संपत्ति? छवि रंजन और रीना हांसदा ने नहीं दिया ब्यौरा

    Updated: Sun, 20 Apr 2025 06:27 PM (IST)

    झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारियों की अचल संपत्ति में पिछले कुछ सालों में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई है। अधिकारियों द्वारा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को दिए गए शपथपत्रों में लगभग वही विवरण है जो पहले था। कुछ अधिकारियों के पास संयुक्त पारिवारिक जमीन है। छवि रंजन और रीना हांसदा जैसे अधिकारियों ने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।

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    बढ़ नहीं रही झारखंड के 'साहबों' की अचल संपत्ति

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारियों की अचल संपत्ति में वृद्धि नहीं हो रही है।

    पिछले कई वर्षों से जिनके पास जितनी अचल संपत्ति थी, लगभग उतना ही ब्यौरा इस वर्ष भी अधिकारियों द्वारा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) को सौंपे गए शपथपत्र में दिया गया है।

    इसमें बढ़ोतरी का ट्रेंड देखने को नहीं मिल रहा है। कई अधिकारियों के पास संयुक्त पारिवारिक जमीन भी है। सीमित मात्रा में इन अधिकारियों के पास जमीन है, जिसका वर्तमान मूल्य और बाजार मूल्य भी अधिकारियों ने प्रदान किया है।

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    गिनती के अधिकारी ही ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति का ब्यौरा एक पन्ने से ज्यादा है। ऐसे अधिकारियों ने उत्तराधिकार के तहत मिली पैतृक संपत्ति का भी खाका दिया है।

    राज्य में तैनात अधिकारियों में ज्यादातर के पास सुकरहुट्टू, कांके स्थित को-आपरेटिव सोसाइटी में जमीन है। इसके अलावा अन्य रिहायशी कालोनियों में भी भूखंड और आवास हैं।

    निलंबित आइएएस छवि रंजन का ब्यौरा उपलब्ध नहीं

    यह भी रोचक है कि जमीन आवंटन संबंधी मामलों में अनियमितता के आरोपों में घिरे आइएएस अधिकारी छवि रंजन ने अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया है। छवि रंजन 2011 बैच के आइएएस अधिकारी हैं।

    रांची में उपायुक्त के पद पर तैनाती के दौरान इनपर अनियमितता के संगीन हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2024 में भी इन्हें सपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया था। वे अभी जेल में बंद हैं।

    इसके अलावा 2020 बैच की रीना हांसदा के संपत्ति का ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं है। अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहीं वर्ष 2000 बैच की अधिकारी पूजा सिंघल की प्रापर्टी में भी कोई इजाफा घोषित नहीं किया गया है।

    रांची के विभिन्न स्थानों के अलावा कोलकाता में इनके पास अचल संपत्ति है। राज्य सरकार ने न्यायालय से जमानत प्रदान किए जाने के बाद इन्हें निलंबन से मुक्त किया है।

    145 आइएएस अधिकारी दे चुके ब्यौरा

    यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में प्रति वर्ष संपत्ति का ब्यौरा देने के मामले में झारखंड के अधिकारियों का रिकार्ड सुधर रहा है। पूर्व में इसके लिए बार-बार केंद्र से रिमाइंडर आता था।

    अब ऐसी शिकायत नहीं के बराबर है। राज्य में में तैनात 145 अधिकारी अचल संपत्ति का ब्यौरा दे चुके हैं। ज्यादातर ने जनवरी माह के अंत तक तय डेडलाइन के भीतर केंद्र सरकार को ब्यौरा उपलब्ध कराया है।

    वरिष्ठता क्रम में प्रमुख अधिकारियों में शामिल राज्य सरकार की मुख्य सचिव अलका तिवारी के पास उत्तर प्रदेश के महोबा, ग्रेटर नोएडा, रांची और देहरादून, शैलेश कुमार सिंह के पास देवघर और रांची, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात निधि खरे के पास रांची में, अविनाश कुमार के पास बिहार और रांची मेंं, अजय कुमार सिंह और नितिन मदन कुलकर्णी के पास रांची में आवासीय भूखंड है।

    संपत्ति का ब्यौरा देना आवश्यक, क्या है नियम

    भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना आवश्यक है, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार की रोकथाम होती है। इससे सरकार को पता चलता है किस अधिकारी के पास कितनी संपत्ति है।

    संसद की स्थायी समिति ने पाया है कि कई आइएएस अधिकारी समय पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देते है। समिति ने इन अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई की अनुशंसा पूर्व में की है।

    निर्धारित समय सीमा में ब्यौरा नहीं देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जा सकती है। उन्हें आय से अधिक संपत्ति रखने पर भ्रष्टाचार संबंधी मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है।

    ऐसे अधिकारियों को पदोन्नति से वंचित किया जा सकता है और वेतन वृद्धि रोकने जैसी कार्रवाई की जा सकती है।

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