Jharkhand News: '4 महीने में भरें सारे पद', अटकी नियुक्तियों को लेकर HC खफा; ताजा आदेश से जल्द शुरू होगी बहाली
विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर के 60 प्रतिशत और असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग सभी पद रिक्त हैं। कोर्ट ने नियुक्ति नियमावली की बाधा दूर करने को कहा है। इसके साथ ही अनुबंध पर नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने चिंता जताई और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर चार माह में नियुक्ति करने के निर्देश जारी किए हैं। आदेश नहीं मानने वालों पर कार्रवाई होगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की पीठ ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर गुरुवार को एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है। पीठ ने राज्य सरकार, विश्वविद्यालय और जेपीएससी को सभी रिक्त पदों पर चार माह में नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।
दो महीने में बाधा दूर करने के आदेश
कोर्ट ने उच्च शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक एवं जेपीएससी को नियुक्ति नियमावली की बाधा दो माह में दूर करने और दो माह में जेपीएससी को विश्वविद्यालयों से प्राप्त अधियाचना के आधार पर विज्ञापन निकालते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। पीठ ने दशकों से विश्वविद्यालयों में नियुक्ति नहीं होने और घंटी आधारित अल्प वेतनभोगी शिक्षकों के जरिए शिक्षण कार्य कराने की व्यवस्था पर चिंता जताई है।
घंटी आधारित शिक्षकों के लिए दिए ये बड़े आदेश
- कोर्ट ने वर्तमान में घंटी आधारित शिक्षकों को नियमित नियुक्ति में अवसर देने के लिए आयु सीमा में छूट देने के निर्देश दिए हैं।
- घंटी आधारित शिक्षकों के अनुभव को देखते हुए उन्हें नियुक्ति में प्राथमिकता देने का भी निर्देश दिया है।
आदेश का पालन न करने वालों पर होगा एक्शन
कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो संबंधित दोषी पदाधिकारियों को चिह्नित करते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी।
सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और तेजस्विता सफलता ने पक्ष रखते हुए कहा था कि सरकार के डाटा के अनुसार राज्य के विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर की 60 फीसदी पद और असिस्टेंट और प्रोफेसर के लगभग सभी पद रिक्त हैं।
अधिकांश पदों पर अनुबंध अथवा घंटी आधारित शिक्षकों के जरिए शैक्षणिक व्यवस्था चलाए जाने की वजह से शैक्षणिक स्तर में गिरावट हो रही है।
कम वेतन के कारण अनुबंध शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है। सभी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने के लिए हाईकोर्ट का हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस संबंध में सिद्धो- कान्हो मुर्मू विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. प्रसिला सोरेन सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिका में कहा गया था कि अनुबंध पर विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे थे। विश्वविद्यालय ने एक आदेश जारी कर उनकी सेवा समाप्त कर दी। विश्वविद्यालय इन पदों पर फिर से अनुबंध पर ही नियुक्ति करने जा रहा है, जो उचित नहीं है।
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