Jharkhand News: पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर लगा 4000 रुपये का जुर्माना, इस मामले में लापरवाही पड़ी भारी
Former Chief Minister Madhu Koda पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला में आरोपी कोड़ा पर निचली अदालत द्वारा आरोप गठित किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा तीसरी बार समय मांगे जाने पर 4000 का जुर्माना लगाया है। मामले पर अगली सुनवाई छह हफ्ते के बाद होगी।

जागरण संवाददाता, रांची। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की ओर से निचली अदालत द्वारा आरोप गठित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने इस मामले में मधु कोड़ा की ओर से तीसरी बार समय मांगे जाने पर 4000 रुपये का जुर्माना लगाया है। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। इससे पहले 17 जनवरी 2025 को समय मांगे जाने पर मधु कोड़ा पर 2000 रुपए का जुर्माना एवं 13 दिसंबर 2024 को 1000 रुपए का जुर्माना कोर्ट ने लगाया था।
जुर्माना की राशि झालसा में जमा करने का निर्देश हुआ था। बता दें, मधु कोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री जैसे पद का दुरुपयोग करते हुए हैदराबाद की बिजली कंपनी आईवीआरसीएल के निदेशक डीके श्रीवास्तव से मुंबई में 11.40 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।
साथ ही कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए उसे लातेहार, गढ़वा और पलामू सहित छह जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण करने का टेंडर दिया था। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसमें मामले में मधुकोड़ा ढाई वर्ष तक जेल में रह चुके हैं। उन्हें 30 जुलाई 2013 को जमानत मिली थी।
हाईकोर्ट ने टाटा मोटर्स अस्पताल के डाक्टरों की याचिका की खारिज
वहीं, दूसरी खबर जमशेदपुर से हैं, जहां झारखंड हाईकोर्ट ने टाटा मोटर्स अस्पताल के डॉ. शिप्रा सरकार सहित चार अन्य डॉक्टरों के क्रिमिनल रिट याचिका को खारिज कर दिया है। झारखंड हाईकोर्ट में पिछले दिनों मामले में सुनवाई हुई थी। आदेश की सर्टिफाइड कापी आने के बाद पीड़ित परिवार के अधिवक्ता संजय कुमार राय ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूल की शिक्षिका बबीता राय (42 वर्ष) टाटा मोटर्स अस्पताल में भर्ती थी। उनकी सर्जरी डॉ. सोमनाथ घोष को करना था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में डॉ. शिप्रा सरकार ने बबीता का ऑपरेशन किया, लेकिन उनके पास सर्जिकल डिग्री का रजिस्ट्रेशन ही नहीं था।
शिप्रा सरकार की लापरवाही के कारण मरीज की मौत हुई थी। शिकायतकर्ता रजनीश कुमार ने मेडिकल नेग्लीजेंसी के आरोप में पांच डॉक्टरों के खिलाफ न्यायिक दंडाधिकारी जमशेदपुर की कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन इस याचिका को खारिज करने की मांग पर सभी डॉक्टर हाईकोर्ट गए थे। लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली।
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