झारखंड में 9 अफसरों को झटका, अभी नहीं बन पाएंगे DSP से SP; हाई कोर्ट ने प्रमोशन पर लगाई रोक
झारखंड में 9 अफसर फिलहाल डीएसपी से एसपी नहीं बन पाएंगे। झारखंड हाई कोर्ट ने डीएसपी से एसपी पदोन्नति पर रोक लगा दी है। अदालत ने पाया कि तीन डीएसपी शिवेंद्र राधा प्रेम किशोर और मुकेश महतो पर आपराधिक मामले चल रहे हैं और उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में डीएसपी से एसपी प्रोन्नति के खिलाफ दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य के डीएसपी से एसपी में प्रोन्नति देने पर रोक लगा दी है। अदालत ने यूपीएससी सहित सभी को अगले आदेश तक प्रोन्नति नहीं देने और इसकी पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाने को कहा है।
अदालत ने मामले में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। सरकार ने नौ सीनियर डीएसपी को एसपी में प्रोन्नति देने के लिए नाम भेजा है।
इस संबंध में रजतमणि बाखला एवं अन्य ने याचिका दाखिल की है। प्रार्थियों के अधिवक्ता आकाशदीप और विक्रम सिन्हा ने अदालत को बताया कि सरकार ने डीएसपी पद पर तैनात नौ अधिकारियों को एसपी में प्रोन्नति देने के लिए सूची भेजी है। यह सूची गलत है।
इन तीन अधिकारियों पर चल रहे आपराधिक मामले
- सूची में तीन डीएसपी शिवेंद्र, राधा प्रेम किशोर, मुकेश महतो का भी नाम शामिल है। इन तीनों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
- इनके खिलाफ सीबीआइ जांच चल रही है और सीबीआइ ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया है। दागी डीएसपी का नाम प्रोन्नति के लिए सरकार ने भेजा है।
- वहीं, जिन अधिकारियों पर कोई आरोप नहीं है, उनका नाम प्रोन्नति के लिए नहीं भेजा गया है। नियमानुसार जिस अधिकारी पर आपराधिक मामला चल रहा है।
- उसका नाम प्रोन्नति के लिए नहीं भेजा जा सकता। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को प्रोन्नति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया है।
शिक्षकों को एसीपी का लाभ नहीं देने पर सरकार से मांगा जवाब
उधर, झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में राज्य के माध्यमिक शिक्षकों को एसीपी का लाभ नहीं दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई दो जुलाई को होगी।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार राज्य के सभी कर्मचारियों को एसीपी का लाभ दे रही है।
स्कूलों के गैर शैक्षणिक कार्य कर रहे कर्मचारियों को भी एसीपी का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया है जो उचित नहीं है।
अदालत को बताया गया कि बिहार में शिक्षक को एसीपी का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन झारखंड सरकार शिक्षकों को यह लाभ नहीं दे रही है।
इस संबंध में झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव मुरारी प्रसाद सिंह की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार राज्य के सभी कर्मचारियों को एसीपी का लाभ दे रही है।
स्कूलों के गैर शैक्षणिक कार्य कर रहे कर्मचारियों को भी एसीपी का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया है जो उचित नहीं है।
अदालत को बताया गया कि बिहार में शिक्षक को एसीपी का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन झारखंड सरकार शिक्षकों को यह लाभ नहीं दे रही है। इसपर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।
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