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    Jharkhand News: नम्रता अस्पताल के लाइसेंस निलंबन का आदेश हाई कोर्ट ने किया कैंसल, अब दे दिया ये आदेश

    झारखंड हाई कोर्ट में गुमला के नम्रता आंख अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के मामले की याचिका पर सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद अदालत ने अस्पताल संचालक को राहत दे दी है। अदालत ने गुमला के सिविल सर्जन 18 सितंबर 2023 के उस आदेश को रद कर दिया है जिसके तहत अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित किया गया था।

    By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 12 Jul 2024 10:11 PM (IST)
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    नम्रता अस्पताल के लाइसेंस निलंबन का आदेश हाई कोर्ट ने कैंसल कर दिया है (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में गुमला के नम्रता आंख अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के मामले में संचालक सूर्यमणि तिवारी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने अस्पताल संचालक को राहत प्रदान की है।

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    अदालत ने गुमला के सिविल सर्जन 18 सितंबर 2023 के उस आदेश को रद कर दिया है जिसके तहत अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित किया गया था। अदालत ने प्रार्थी के बैंक एकाउंट फ्रिज करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया और बैंक को एकाउंट चालू करने का निर्देश दिया।

    साल 2023 में दर्ज कराई थी प्राथमिकी

    प्रार्थी सूर्यमणि तिवारी के खिलाफ दोहरा क्लेम लेने के आरोप में गुमला थाना में 14 सितंबर 2023 को प्राथमिकी दर्ज कराई। गयी थी। प्राथमिकी में आरोप था कि सूर्यमणि तिवारी ने कई मरीजों से राष्ट्रीय अंधापन निवारण कार्यक्रम और आयुष्मान भारत स्कीम का दोहरा क्लेम लिया था।

    सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अनुराग कश्यप ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के पहले ही वह पैसा वापस करने के लिए तैयार थे। सिविल सर्जन ने भी जांच के बाद पैसे वापस करने की बात कही थी।

    लेकिन इस बीच सिविल सर्जन गुमला ने उनके अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया। जिससे उनके अस्पताल का आपरेशन रूक गया। सिविल सर्जन के दिशा-निर्देश के आलोक में यूको बैंक गुमला ब्रांच के मैनेजर ने उनके अस्पताल का बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया। जिससे अस्पताल के संचालन में दिक्कत हो रही है।

    प्रार्थी ने क्या बताया?

    प्रार्थी का कहना था कि सिविल सर्जन को अस्पताल के लाइसेंस से निलंबित करने के झारखंड क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट रूल के नियम नौ तहत शो काज नोटिस जारी करना चाहिए था।

    लेकिन सिविल सर्जन ने बिना कोई नोटिस जारी किए ही अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी को राहत प्रदान की है।

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