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    Jharkhand GST News: पांच साल में जीएसटी मुआवजा 41000 करोड़, झारखंड को मिले सिर्फ 14000 करोड़

    झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजे का कम से कम 70 प्रतिशत राशि मुहैया कराने का आग्रह किया है। राज्य सरकार के अनुसार बीते पांच साल में राज्य का जीएसटी मुआवजा 41000 करोड़ रुपये का है लेकिन झारखंड को सिर्फ 14000 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे दिक्कतें आ रही है। वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र के सहयोग की दरकार है।

    By Pradeep singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 23 Dec 2024 04:29 PM (IST)
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    वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र के सहयोग की दरकार है।

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड ने केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजा का कम से कम 70 प्रतिशत राशि मुहैया कराने का आग्रह किया है। राज्य सरकार के मुताबिक, बीते पांच साल में राज्य का जीएसटी मुआवजा 41000 करोड़ रुपये का है, लेकिन झारखंड को सिर्फ 14000 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे दिक्कतें आ रही है। राजस्थान के जैसलमेर में राज्यों के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में यह मुद्दा जोरशोर से उठा।

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    'जागरण' के साथ खास बातचीत में वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र के सहयोग की दरकार है। हम भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं। केंद्र सरकार ने आरंभ से राज्य को उपेक्षित रखा है। जीएसटी मुआवजा और कोयला रायल्टी के विभिन्न मद का 1.36 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार मुहैया कराए।

    राधाकृष्ण किशोर के मुताबिक, राज्य अपने संसाधनों से राजस्व का स्त्रोत बढ़ाने में सक्षम है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इसकी प्रबल इच्छाशक्ति है। राज्य सरकार सिर्फ अपने राजस्व के बल पर कार्य नहीं कर सकते। इसके लिए केंद्रीय सहायता अनुदान की आवश्यकता है ताकि सर्वांगीण विकास किया जा सके। झारखंड जनजातीय बहुल राज्य है। केंद्रीय वित्तमंत्री के समक्ष इन तमाम बिंदुओं को रखकर सुझाव दिया गया है।

    केंद्रीय सहायता का लक्ष्य 16000 करोड़, मिले सिर्फ 4000 करोड़

    जीएसटी मुआवजे के अलावा राज्य केंद्रीय सहायता के लक्ष्य में भी पीछे हैं। वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर के मुताबिक केंद्रीय सहायता अनुदान की राशि का चालू वित्तीय वर्ष का लक्ष्य 16000 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में तीन माह बचा है। अभी तक राज्य को सिर्फ 4000 करोड़ रुपये मिला है। राशि समय पर मिलने की स्थिति में उपयोग हो पाता है। अगर यह फरवरी माह में मिलेगा तो इसकी कोई उपयोगिता नहीं होगी।

    राज्य का केंद्रीय सहायता अनुदान भी लगातार कम हो रहा है। केंद्र राज्य को ज्यादा नहीं दे, लेकिन लक्ष्य के मुताबिक अवश्य देना चाहिए। ग्रांट अगर समय पर मिले तो उसका सदुपयोग सुनिश्चित हो पाएगा। देर से मिलने के कारण यह अनुपयोगी साबित होगा।

    फोकस शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था विकास पर

    वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर के मुताबिक राज्य सरकार का फोकस शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास पर होगा। इन क्षेत्रों में विकास कर कई रोजगार के साथ-साथ राजस्व के स्त्रोत भी विकसित किए जा सकते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर कई समस्याओं का एक साथ निदान संभव है। केंद्र सरकार इसमें हमारा सहयोग करे। इससे जुड़ी योजनाओं पर तेज गति से काम होने पर झारखंड देश के अग्रिम राज्यों के मुकाबले खड़ा हो पाएगा।

    कैसे होता है बंटवारा?

    • अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी राजस्व केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है।
    • उदाहरण के तौर पर यदि कोई वस्तु या सेवा प्रदाता 100 रुपये मूल्य का उत्पाद बेचता है तो उसे कुल 18% जीएसटी देना होगा। यह नौ प्रतिशत सीजीएसटी और नौ प्रतिशत एसजीएसटी में विभाजित है। 18 रुपये में नौ रुपये केंद्र व नौ रुपये राज्य सरकार को जाता है।
    • अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी दर अलग-अलग हो सकती है। आवश्यक वस्तुओं खाद्य और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जीएसटी दर, विलासिता की वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी दरों की तुलना में कम है। ऐसे मामलों में जीएसटी राजस्व को जीएसटी कौंसिल द्वारा तय अनुपात में साझा किया जाता है।
    • जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व में कमी को देखते हुए मुआवजा पांच वर्षों के लिए देने का निर्णय किया गया था। झारखंड, तेलंगाना सहित कई राज्यों में जीएसटी मुआवजा की अवधि पांच वर्ष और बढ़ाने की मांग उठाई है।

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