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    झारखंड में टैक्स चोरी करने वालों की खैर नहीं, हेमंत सरकार ने बना लिया है ये प्लान

    Updated: Thu, 23 Jan 2025 02:04 PM (IST)

    झारखंड में टैक्स चोरी को रोकने के लिए अब सरकार आगे आई है। हेमंत सरकार टैक्स चोरी करने के लिए प्लान बना रही है। वाणिज्य कर आयुक्त अमीत कुमार ने बताया कि सभी पोर्टल को एक छतरी के अधीन लाने के उद्देश्य से सिस्टम इंटीग्रेट करने के लिए एजेंसी का चयन किया जा रहा है। एजेंसी चयन करने के बाद काम तेजी से बढ़ेगा।

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    टैक्स चोरी करने को लेकर हेमंत सरकार बना रही प्लान। (फाइल फोटो)

    आशीष झा, जागरण, रांची। कर चोरी एक ऐसा मामला है, जहां तिकड़मबाज लोग टैक्स नहीं देने के लिए तमाम तरीके अपनाते हैं और सरकार को लाखों-करोड़ों के राजस्व का चूना लगाते हैं। झारखंड सरकार अब इन्हीं टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए प्लान बना रही है।

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    इन्हें पकड़ना तो मुश्किल होता ही है, पकड़ने के बाद साक्ष्य जुटाना और भी बड़ी समस्या है। अब राज्य सरकार ने कर वसूली के तमाम व्यवस्थाओं को एक ही सिस्टम से जोड़कर राजस्व चोरी के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है।

    इससे चोरों को बच निकलने का मौका कम ही निकलेगा। उदाहरण से समझिए, मान लीजिए कोई कंपनी 10 हजार टन खनिज सरकार से प्राप्त करती है और माल ढुलाई के एवज में 2 हजार टन का कागज ही दिखाती है।

    इस प्रकार 8 हजार टन की अवैध ढुलाई होने की बात प्रमाणित होती है। यह प्रमाणित होने के लिए जीएसटी पोर्टल और वाहन पोर्टल का इंटीग्रेटेड सिस्टम होना आवश्यक है।

    फर्जी वाहनों का नंबर डालती हैं कंपनियां

    दरअसल, विभिन्न विभागों के अपने-अपने पोर्टल कार्यरत हैं, लेकिन इन्हें एक ही प्लेटफार्म पर जोड़ने में विफल होने के कारण टैक्स चोरी होती है। ढुलाई के लिए कंपनियां फर्जी वाहनों का नंबर डालती है और इसे पकड़ने के लिए वाहन पोर्टल ही कारगर होगा।

    जीएसटी पोर्टल, वैट के पोर्टल, वाणिज्यकर, खनिजों से संबंधित जिम्स पोर्टल और परिवहन से संबंधित वाहन पोर्टल को एक जगह इंटीग्रेट कर राज्य सरकार विभिन्न प्रकार की चोरी पर प्रहार करने की तैयारी में है।

    एजेंसी का किया जाएगा चयन

    वाणिज्य कर आयुक्त अमीत कुमार के अनुसार सभी पोर्टल को एक छतरी के अधीन लाने के उद्देश्य से सिस्टम इंटीग्रेट करने के लिए एजेंसी का चयन किया जा रहा है।

    एजेंसी का चयन होते ही सभी विभागों को एक ही माध्यम से जोड़ते हुए जानकारी दे दी जाएगी। इससे कोई कंपनी जितना खनिज उठाव करेगी उसी के हिसाब से परिवहन का आंकड़ा भी डालेगी। फर्जी वाहनों का नंबर देकर बचना मुश्किल हो जाएगा।

    एक बार सिस्टम तैयार हो जाए तो सरकार के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोगों को आसानी से पकड़ा जाएगा। एजेंसी चयन के बाद काम तेजी से बढ़ सकेगा। - अमीत कुमार, वाणिज्य कर आयुक्त, झारखंड

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