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    Lateral Entry: रघुवर शासन का लेटरल एंट्री संकल्प रद्द कर सकती है हेमंत सरकार, कांग्रेस ने बताया संविधान का उल्लंघन

    Updated: Thu, 22 Aug 2024 10:06 PM (IST)

    Jharkhand Politics झारखंड सरकार रघुवर दास के शासनकाल में जारी किए लेटरल एंट्री के संकल्प को निरस्त कर सकती है। कांग्रेस विधायक दल के उपनेता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इसे निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में एक ज्ञापन भी दिया है। उनका कहना है इससे संविधान में दिए गए आरक्षण के प्रविधानों का घोर उल्लंघन होता है।

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    Lateral Entry: रघुवर शासन का लेटरल एंट्री संकल्प रद्द कर सकती है हेमंत सरकार,

    राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्र में लेटरल एंट्री से संबंधित प्रस्ताव वापसी के बाद राज्य में भी इससे संबंधित संकल्प को निरस्त किया जा सकता है।

    उल्लेखनीय है कि रघुवर दास के शासनकाल में वर्ष 2015 में सरकार ने विभिन्न विभागों में संविदा पर सलाहकार की बहाली का निर्णय लिया था। इससे संबंधित संकल्प भी जारी किया गया था।

    उस वक्त इसका व्यापक विरोध होने के बाद के बाद सरकार आगे नहीं बढ़ी थी और यह प्रस्ताव अमल में नहीं आ पाया, लेकिन उस समय जारी संकल्प को निरस्त नहीं किया गया था।

    मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस आशय का प्रस्ताव दिया गया है। कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने यह मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष उठाई है।

    इससे उम्मीद की जा रही है कि सरकार उक्त संकल्प को निरस्त करने की प्रक्रिया आरंभ करेगी। वर्ष 2015 में सरकार ने विभिन्न विभागों में संविदा पर सलाहकार की बहाली का निर्णय किया था।

    इस बाबत राज्य सरकार ने एक उच्चस्तरीय चयन समिति गठित की थी। चयन समिति का अध्यक्ष मुख्य सचिव को बनाया गया था, जबकि सदस्यों में विकास आयुक्त, कार्मिक, योजना एवं वित्त विभाग के प्रमुख सहित संबंधित विभागों के सचिव थे।

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    आरक्षण के प्रविधानों का उल्लंघन

    प्रदीप यादव ने अपने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि यह प्रस्ताव शासन समर्थित लोगों को कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर सरकारी पदों में बैठाने का था।

    इससे संविधान प्रदत्त आरक्षण के प्रविधानों का घोर उल्लंघन होता। राज्य सरकार इस संकल्प को निरस्त करे। यह आरक्षण के दायरे में आने वाले एसटी, एससी ओबीसी समुदाय के लिए न्यायोचित होगा।

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