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    Jharkhand News: झारखंड में महिला रसोइया की बल्ले-बल्ले, हेमंत सरकार ने बढ़ाया मानदेय; अब मिलेगी इतनी सैलरी

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 09:39 AM (IST)

    झारखंड के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने वाली महिला रसोइयों की बल्ले-बल्ले हो गई है। इन रसोइयों के मानदेय में वृद्धि कर दी गई है। होली से पहले महिला रसोइयों के लिए यह सबसे बड़ा गिफ्ट माना जा रहा है। महिला रसोइया को मानदेय बढ़ने का बेसब्री से इंतजार था। सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी थी लेकिन इसका लाभ उन्हें अभी तक नहीं मिला था।

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    महिला रसोइया के लिए हेमंत सोरेन ने किया बड़ा एलान (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News: झारखंड में सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बनानेवाली महिला रसोइया को अब 3000 रुपये मानदेय मिलेगा। शुक्रवार को विधानसभा में मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसके लिए तीसरे अनुपूरक बजट में राशि का प्रविधान किया गया है।

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    अभी तक रसोइया को 2000 रुपये ही भुगतान होता था। राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में राशि बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान की थी, लेकिन इसका लाभ उन्हें अभी तक नहीं मिला था।

    महिला रसोइया का क्या काम होता है?

    महिला रसोइया वह महिला होती है जो सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील (मध्याह्न भोजन) कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए भोजन तैयार करती है। उनका मुख्य काम स्कूल में बच्चों के लिए स्वच्छ और पौष्टिक भोजन तैयार करना होता है।

    लंबे समय से कर रही थीं मानदेय बढ़ाने की मांग

    बता दें कि महिला रसोइया बहुत दिनों से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रही थी और हेमंत सरकार ने भरोसा भी दिया था। लेकिन किसी न किसी कारण से टल जा रहा था। लेकिन अब विधानसभा में इसकी मंजूरी मिल गई है। बिहार में महिला रसोइया तो बार-बार परमानेंट करने के लिए आंदोलन कर रही हैं लेकिन वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

    बजट लेकर राशि खर्च नहीं कर पाए विभाग

    गुरुवार को विधानसभा में पेश विनयोग लेखा की रिपोर्ट देखें तो कई विभागों की नाकामी उजागर होती दिख रही है। कम से कम चार विभाग ऐसे हैं जो एक उपलब्ध होने के बावजूद हजार से चार हजार करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए। राशि खर्च नहीं हो पाने का मतलब स्पष्ट रूप से क्रियान्वयन के वक्त कम प्राथमिकता दिया जाना है।

    वर्ष 2023-24 के दौरान कुछ मामलों में 1572.53 करोड़ का अनुपूरक बजट अनावश्यक साबित हुआ और मूल आवंटन के विरुद्ध भी विभागों में बड़े पैमाने पर राशि खर्च नहीं हो सकी। किसी अनुदान के अधीन पर्याप्त बचत यह दर्शाता है कि खास योजनाओं और कार्यक्रमों का या तो क्रियान्वयन नहीं किया गया या फिर मंद गति से कार्रवाई की गई।

    नतीजा यह रहा कि राशि होते हुए भी बजट का इस्तेमाल नहीं हो सका। झारखंड में वित्तीय वर्ष 2023-24 में सहकारिता विभाग का बजट 2290 करोड़ रुपये था, इसके बावजूद 26 करोड़ रुपये अनुपूरक बजट में लिए गए और वास्तविक व्यय 1214 करोड़ रुपये ही हुआ।

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