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    Jharkhand Election 2024: भाजपा विरोधी गठबंधन में छोटे दल दरकिनार, झामुमो-कांग्रेस रहे हावी

    Updated: Wed, 30 Oct 2024 05:25 PM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा विरोधी गठबंधन में छोटे दलों को दरकिनार कर दिया गया है। झामुमो और कांग्रेस ने आपस में सीटें बांट ली हैं जिससे राजद और भाकपा-माले नाराज हैं। कुछ सीटों पर गठबंधन के दलों के बीच संघर्ष की स्थिति है। गठबंधन में इसे दोस्ताना संघर्ष का नाम दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति पलामू प्रमंडल की दो सीटों पर राजद के साथ उत्पन्न हुई है।

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    कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन।

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election 2024) में भाजपा विरोधी गठबंधन में लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की राजद और वामदल भाकपा-माले एक हद तक दरकिनार कर दिए गए हैं। गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने अपनी सीटें आपस में मिलकर बांट ली। इसे लेकर तकरार की भी नौबत आई। पहले लगा कि मामला सुलझ जाएगा, लेकिन अब नौबत तीन सीटों पर आपस में संघर्ष की है।

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    कुछ सीटों पर गठबंधन में शामिल दलों द्वारा अपना प्रत्याशी उतार देने के कारण ये चुनावी मैदान में एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। गठबंधन में इसे दोस्ताना संघर्ष का नाम दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति पलामू प्रमंडल की दो सीटों पर राजद के साथ उत्पन्न हुई है। बिहार से सटे होने और जातीय समीकरण पक्ष मेंं रहने के कारण विश्रामपुर और छतरपुर सीट पर राजद ने प्रत्याशी दिए थे। अप्रत्याशित तौर पर कांग्रेस ने भी यहां से प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। ऐसे में इन दोनों सीटों पर राजद की कांग्रेस से भिंड़त होगी।

    उधर, कुछ ऐसा ही हाल वामदल भाकपा-माले और झामुमो का भी है। प्रख्यात वामपंथी नेता एके राय द्वारा स्थापित मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के भाकपा-माले में विलय के बाद स्थिति में परिवर्तन आई है। इसे देखते हुए भाकपा-माले ने ज्यादा सीटों पर दावेदारी की, लेकिन गिरिडीह के धनवार में मामला फंस गया। इस सीट पर पहले भाकपा-माले के राजकुमार यादव निर्वाचित हो चुके हैं, लिहाजा पार्टी ने यहां से दावेदारी नहीं छोड़ी। झामुमो ने भी यहां से प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में गठबंधन के दोनों दलों के बीच मुकाबला होगा।

    यह भी रोचक है कि धनवार विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी प्रत्याशी हैं। हालांकि, भाकपा-माले ने उदारता दिखाते हुए धनवार से सटे जमुआ विधानसभा सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा। जमुआ विधानसभा क्षेत्र को लेकर दोनों दलों में दावेदारी का लंबा दौर चला। अंतत: गठबंधन की एका का हवाला देते हुए भाकपा-माले ने समझौता कर दिया। जमुआ से भाजपा की सीटिंग विधायक केदार हाजरा को पाला बदलने के बाद झामुमो ने प्रत्याशी बनाया है।

    झामुमो और कांग्रेस ने आपस में बांट ली सीटें

    गठबंधन के घटक दलों के बीच खटास उस वक्त पैदा हो गई थी, जब झामुमो और कांग्रेस ने मिलकर 70 सीटें आपस में बांट ली। इसपर राजद ने गहरा एतराज जताया था। राजद के कार्यकारी अध्यक्ष तेजस्वी यादव सीट समझौते के लिए रांची में कई दिनों तक जमे रहे।

    कहा यह भी जा रहा है कि गठबंधन से अलग होकर राज्य में चलने में राजद को मुश्किल होगी। राजद का जनाधार कुछ क्षेत्रों तक सिमटा है। ऐसा ही व्यवहार राजद अपने अधिक प्रभाव वाले बिहार में भी कांग्रेस के साथ करती आई है। हालांकि भाकपा-माले ने एक सीट पर तालमेल नहीं होने पर अफसोस जताते हुए कहा है कि इसके बावजूद वह आइएनडीआइए के साथ मजबूती से खड़ा है।

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