Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Jharkhand New DGP: 1 जनवरी से किसके हाथ होगी झारखंड पुलिस की कमान, सस्पेंस बरकरार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:37 PM (IST)

    झारखंड में 1 जनवरी से नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सस्पेंस बरकरार है। वर्तमान प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगी। डीजी रै ...और पढ़ें

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, रांची। एक जनवरी आने में पांच दिन शेष बचे हैं। इस तिथि से झारखंड को नया डीजीपी मिलना है। झारखंड के नए डीजीपी कौन होंगे, इसपर अब भी सस्पेंस बरकरार है। राज्य की प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगी। इसके बाद कौन डीजीपी बनेंगे, यह फिलहाल तय नहीं है। वरीयता सूची देखें तो डीजी रैंक में तीन ही अधिकारी झारखंड में हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इनमें 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल पाल्टा, 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह व 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी एमएस भाटिया शामिल हैं। अनिल पाल्टा वर्तमान में डीजी रेल, प्रशांत सिंह डीजी वायरलेस व एमएस भाटिया गृह रक्षा वाहिनी सह अग्निशमन विभाग के डीजी सह महासमादेष्टा हैं। तदाशा मिश्रा 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं।

    इस बैच की ही संपत मीणा केंद्र में ही डीजी रैंक में इम्पैनल हो चुकी हैं, इसलिए उनके झारखंड आने की उम्मीद नहीं के बराबर है। इसके बाद अगर 1995 बैच को भी डीजी रैंक में शामिल किया जाता है तो इस बैच में सिर्फ एक ही अधिकारी डॉ. संजय आनंदराव लाटकर हैं और वे भी हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।

    ऐसी स्थिति में वर्तमान में राज्य सरकार के पास विकल्प में सिर्फ तीन ही नाम दिख रहे हैं, जिनमें अनिल पाल्टा, प्रशांत सिंह व एमएस भाटिया हैं। तीनों ही अधिकारियों के पास पुलिसिंग का लंबा अनुभव है। तीनों की स्वच्छ व बेदाग छवि रही है।

    अपनी ही नियमावली से डीजीपी का चयन कर सकती है सरकार

    राज्य सरकार अपनी ही नियमावली से झारखंड के डीजीपी का चयन कर सकती है। राज्य सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर 'महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखंड (पुलिस बल प्रमुख) का चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2025' का गठन किया था। इसके नियम 10 (1) के अनुरूप डीजीपी की नियुक्ति हो सकती है। इसी नियमावली के तहत राज्य सरकार ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाया था।

    हालांकि, राज्य सरकार के इस नियमावली को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मानने से इंकार कर दिया था। अगर एक बार फिर इसी नियमावली से राज्य सरकार फिर से डीजीपी का चयन करती है तो मामला फिर विवादित हो सकता है।

    डीजीपी की नियुक्ति दो वर्षों के लिए करनी है। वैसे आईपीएस अधिकारी जिनकी सेवानिवृत्ति की तिथि कम से कम छह महीने बची हो, उनकी डीजीपी के पद पर दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति हो सकती है। उपरोक्त तीनों ही अधिकारी अनिल पाल्टा, प्रशांत सिंह व एमएस भाटिया इस नियम व शर्त को पूरा कर रहे हैं।

    वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों की भारी कमी, अतिरिक्त प्रभार से चल रहा है काम

    वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों की भारी कमी है। यही वजह है कि कई महत्वपूर्ण विभाग अतिरिक्त प्रभार से चल रहे हैं। राज्य सरकार के खुफिया विभाग (विशेष शाखा) के प्रमुख एडीजी या डीजी रैंक के होते रहे हैं, लेकिन इस विभाग को लंबे समय से आईजी रैंक के अधिकारी लीड कर रहे हैं।

    दूसरे महत्वपूर्ण विभाग अपराध अनुसंधान विभाग की भी यही स्थिति है। यह विभाग भी डीजी या एडीजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में संचालित होता रहा है, लेकिन यहां भी आईजी के पास विभाग की कमान है।

    एसीबी की एडीजी प्रिया दुबे के पास जैप के एडीजी व प्रशिक्षण सह आधुनिकीकरण के एडीजी का भी प्रभार है। आईजी जेल सुदर्शन मंडल के पास आईजी मुख्यालय का भी प्रभार है। डीजी वायरलेस प्रशांत सिंह के पास डीजी मुख्यालय का भी प्रभार है।

    विशेष शाखा व सीआईडी में एसपी रैंक के अधिकारी की भारी कमी है। रांची रेंज में डीआईजी का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा है। आधा दर्जन से अधिक आईआरबी, एसआईआरबी, एसआईएसएफ बटालियन के प्रमुख का पद अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं।