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    झारखंड कांग्रेस में बढ़ती खींचतान से हाईकमान चिंतित, दिल्ली बुलाए जाएंगे पार्टी के बड़े नेता

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 12:28 PM (IST)

    झारखंड कांग्रेस आंतरिक खींचतान से जूझ रही है, जिससे पार्टी नेतृत्व चिंतित है। वरिष्ठ नेताओं के बीच बयानबाजी और तकरार ने संगठन की एकजुटता पर सवाल खड़े ...और पढ़ें

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    झारखंड कांग्रेस में खींचतान जारी। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस इन दिनों आंतरिक खींचतान के कारण असहज स्थिति से गुजर रही है। पार्टी के वरिष्ठ और प्रभावी नेताओं के बीच जारी बयानबाजी, कटाक्ष और सार्वजनिक मंचों पर हो रही तकरारों ने संगठन की एकजुटता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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    विधानसभा के भीतर और बाहर लगातार सामने आ रहे मतभेदों ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भी चिंतित कर दिया है, जिसके बाद अब दिल्ली में समन्वय बैठक बुलाने की तैयारी शुरू हो गई है।

    विधानसभा के शीत सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के साथ कांग्रेस कोटे से सरकार में शामिल मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के बीच सवाल-जवाब को लेकर तकरार हुआ। इससे कांग्रेस असहज स्थिति में है।

    इस तरह की घटनाओं से न सिर्फ सत्तारूढ़ गठबंधन, बल्कि कांग्रेस की आंतरिक कमजोरी को विपक्ष भुनाने में लगा हुआ है। सदन के बाहर भी कई बार मीडिया के सामने दिए गए बयानों में परस्पर विरोधाभास देखने को मिला है, जिसने कांग्रेस नेतृत्व की परेशानी बढ़ा दी है।

    झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मध्यस्थता की कोशिशें शुरू की हैं। संगठन में समन्वय की जिम्मेदारी संभालने वाले कुछ नेताओं ने सभी पक्षों से बातचीत की है, ताकि विवाद को बढ़ने से रोका जा सके। इन प्रयासों के बावजूद परिस्थितियों में जल्दी सुधार नहीं हुआ, जिसके चलते अब पार्टी का राष्ट्रीय आलाकमान खुद दखल देने की तैयारी में है।

    दिल्ली बुलाए जा सकते हैं नेता

    जल्द ही झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को दिल्ली तलब किया जा सकता है, जहां पार्टी नेतृत्व द्वारा उनकी बात सुनी जाएगी और आपसी मतभेदों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। पार्टी चाहती है कि आगामी चुनावी वर्ष को देखते हुए संगठन में अनुशासन और एकजुटता कायम रहे।

    केंद्रीय नेतृत्व साफ कर चुका है कि आंतरिक विवाद सार्वजनिक नहीं होने चाहिए और किसी भी तरह की असहमति को पार्टी मंच पर ही सुलझाया जाना चाहिए।


    उल्लेखनीय है कि झारखंड में कांग्रेस पहले से ही गठबंधन की राजनीति पर निर्भर है। ऐसे में पार्टी के भीतर उभर रहे ऐसे विवाद उसकी स्थिति को और कमजोर कर सकते हैं। यदि समय रहते विवाद नहीं सुलझे तो इसका असर आने वाले दिनों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।

    फिलहाल कांग्रेस आलाकमान पर सबकी नजरें टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि झारखंड कांग्रेस अपनी आंतरिक चुनौतियों से कैसे निपटती है और संगठन में एकजुटता बहाल हो पाती है या नहीं?

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