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    Jharkhand: इंटर कॉलेजों ने अधिक सीटों पर लिया नामांकन, अब हजारों विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन फंसा

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 09:37 PM (IST)

    रांची के कई वित्त रहित इंटर कॉलेजों ने शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित सीट से अधिक नामांकन लिया है। अतिरिक्त सीटों पर नामांकित विद्यार्थियों का पंजीकरण ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में संचालित कई वित्त रहित इंटर कॉलेजों ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा निर्धारित सीट 512 से अधिक सीटों पर नामांकन ले लिया है। अब निर्धारित सीटों की अतिरिक्त सीटों पर नामांकित विद्यार्थियों का 11वीं का पंजीकरण नहीं हो रहा है।

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    झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) भी इस मामले को लटकाए रखा है। जिला शिक्षा पदाधिकारियों से इंटर कॉलेजों की जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद भी जैक इसपर अभी तक निर्णय नहीं ले पाया है।

    दूसरी तरफ, अगले वर्ष दो जनवरी को जैक द्वारा पंजीकरण की तय समय सीमा खत्म हो रही है। इससे उन विद्यार्थियों में संशय और आक्रोश की स्थिति है, जिनका अतिरिक्त सीटों पर नामांकन हुआ है तथा जिनका पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। विद्यालय कॉलेज और जैक का चक्कर लगा रहे हैं।

    अतिरिक्त सीटों पर नामांकन का मामला पिछले वर्ष भी आया था, लेकिन झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर जैक ने संबंधित 16 इंटर कॉलेजों की जांच कर अतिरिक्त सीटों की मंजूरी प्रदान करते हुए उनका पंजीकरण किया था। इस बार इन कॉलेजों सहित लगभग 40 इंटर कॉलेजों में लिए गए अतिरिक्त नामांकन का मामला फंसा हुआ है।

    दरअसल, यह मामला सीटों की स्वीकृति से संबंधित अधिकार से जुड़ा है। विभाग ने सभी इंटर कॉलेजों के लिए अधिकतम 520 सीटें निर्धारित की हैं। इससे पहले जैक ने अतिरिक्त सीटों की भी मंजूरी प्रदान की थी, जिसपर विभाग ने जैक से जवाब तलब किया था। हालांकि, जैक ने अधिनियम का हवाला देते हुए जैक को इसका अधिकार होने का जवाब दिया था।

    इधर, झारखंड वित्त रहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा का कहना है कि जैक के निर्देश पर ही संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने जांच रिपोर्ट सितंबर माह में ही जैक को भेज दी है। जैक अभी तक विद्यार्थियों के पंजीकरण काे लेकर निर्णय नहीं ले पा रहा है। जब अतिरिक्त सीटों की मंजूरी प्रदान नहीं करनी थी तो भी इसपर निर्णय पूर्व में लिया जाना चाहिए था। अब प्रभावित लगभग 50 हजार विद्यार्थियों के आक्रोश का सामना कॉलेजों को करना पड़ रहा है।