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    Jharkhand: हेमंत सरकार क्यों कर रही परिसीमन का विरोध? असली वजह सामने आते ही झारखंड में मचा सियासी घमासान

    Jharkhand Politics विधानसभा के बजट सत्र में परिसीमन का मुद्दा गरमाया। सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। सरकार ने चिंता जताई कि 2026 में परिसीमन के दौरान आदिवासियों के लिए सुरक्षित लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या घटा दी जाएगी। विपक्ष ने कहा कि आदिवासियों की संख्या घटने पर ही परिसीमन में सीट घटाने-बढ़ाने का निर्णय होता है।

    By Dilip Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 18 Mar 2025 08:15 PM (IST)
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    हेमंत सरकार क्यों कर रही परिसीमन का विरोध

    राज्य ब्यूरो, रांची। विधानसभा में बजट सत्र में मंगलवार को द्वितीय पाली में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के बजट प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान परिसीमन का मुद्दा गरम रहा।

    सत्तापक्ष व विपक्ष ने परिसीमन के मुद्दे पर एक-दूसरे को घेरा। चर्चा के दौरान सरकार के उत्तर में विभागीय मंत्री चमरा लिंडा ने परिसीमन पर चिंता जाहिर की और कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन केंद्र की भाजपा सरकार ने राज्य में छह आदिवासी सुरक्षित सीटों को घटाया जा रहा था।

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    उन्हें आशंका है कि वर्ष 2026 में फिर परिसीमन के दौरान राज्य में आदिवासियों के लिए सुरक्षित लोकसभा व विधानसभा सीटों की संख्या घटा दी जाएगी। सत्तापक्ष के साथी विधायकों ने भी इसपर चिंता जाहिर की।

    मंत्री चमरा लिंडा के परिसीमन पर उठाए गए इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासियों की संख्या घटने पर ही परिसीमन में सीट घटाने-बढ़ाने का निर्णय होता है।

    सत्तापक्ष बताए कि राज्य में किस कारण से आदिवासियों की आबादी घटी है और मुसलमानों की आबादी बढ़ी है। कौन कहां से आया। झारखंड में इसपर चर्चा होनी चाहिए और एनआरसी कराना चाहिए।

    वाद-विवाद व चर्चा के बाद सदन से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के लिए 30 अरब, सात करोड़, 54 लाख, 37 हजार रुपये का बजट प्रस्ताव पास हो गया।

    विभागीय मंत्री चमरा लिंडा का कहना था कि राज्य में आदिवासियों को खाने-पीने की चिंता नहीं है। वे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

    विधानसभा व लोकसभा सीटों के लिए परिसीमन में जनसंख्या को आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। परिसीमन आयोग की नियमावली में जनसंख्या को आधार बनाने की बात नहीं है।

    मंत्री चमरा लिंडा ने सरना धर्म कोड को लागू करने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि केंद्र राज्य की पहचान क्यों नहीं दे रही है। उनका सरना धर्म कोड लागू क्यों नहीं किया जा रहा है।

    मंत्री चमरा लिंडा ने पूर्व की रघुवर सरकार की सोच पर भी सवाल उठाया और कहा कि उन्होंने भूमि बैंक बनाए और सीएनटी एक्ट में संशोधन किए।

    गैरमजरूआ मालिक जमीन पर घर बन गए। आदिवासियों के पैसे से हाथी उड़ा दिए गए। भाजपा को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।

    परिसीमन में जनसंख्या आधार बना तो घटेंगी एसटी सीटें : रामेश्वर उरांव

    • कांग्रेस के विधायक रामेश्वर उरांव ने कहा कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन को परिभाषित किया गया तो राज्य में एसटी की सीटें घटेंगी।
    • उन्होंने दोनों पक्षों से कहा कि यह प्रयास होना चाहिए कि राज्य में एसटी सीटों की संख्या बढ़े। इससे राज्य का भला होगा।
    • वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ रही है और यह चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। परिसीमन में एसटी की सीटें घटेंगी, यह चिंता का विषय है। इसपर सबको चिंता करना चाहिए।

    ओबीसी आरक्षण पर भी भिड़े

    नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के ओबीसी आरक्षण वाले आरोपों पर भी सत्तापक्ष व विपक्ष भिड़े। मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि वर्ष 2000 में ओबीसी का आरक्षण 27 से 14 प्रतिशत कर दिया गया था।

    क्यों पिछड़ों की आबादी घट गई? अगर 2011 के बाद जनगणना हुआ ही नहीं, तो किस आधार पर नेता प्रतिपक्ष आंकड़ा पेश कर रहे हैं।

    इस आरोप पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद बिहार में एसटी को दो प्रतिशत आरक्षण दिया गया। झारखंड में एसटी को 26 प्रतिशत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया गया।

    एससी को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। बाद में ओबीसी का आरक्षण 26 प्रतिशत किया गया था, लेकिन कोर्ट ने उसपर रोक लगाया था।

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