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    Jharkhand Election 2024: विधानसभा चुनाव में किसका क्या है दांव पर, कौन-कौन से हैं प्रमुख मुद्दे? पढ़ें पूरी डिटेल

    Updated: Tue, 15 Oct 2024 10:32 PM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की घोषणा हो चुकी है। इस बार के चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला गठबंधन और भाजपा आमने-सामने हैं। दोनों ही दलों ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। हेमंत सोरेन कल्याणकारी योजनाओं के जरिए मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं भाजपा घुसपैठ और भ्रष्टाचार के मुद्दे उठा रही है। देखना होगा कि इस बार किसकी रणनीति कामयाब होती है।

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    सत्ता में वापसी झामुमो की चुनौती, भाजपा भी लगाएगी पूरा जोर।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा भले ही मंगलवार को हुई है, लेकिन चुनावी बिसात पर शह-मात का खेल पिछले कई महीनों से जारी है।

    एक मायने में इस वर्ष की शुरूआत के साथ ही चुनाव को लेकर तैयारी आरंभ हो गई थी। ईडी की कार्रवाई के कारण हेमंत सोरेन को पद छोड़ना पड़ा। वे लगभग पांच माह जेल में रहे।

    जेल से वापस आने के बाद उन्हें अपने दल में उथल-पुथल का अहसास हुआ। समय रहते उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री बनने का निर्णय किया। कुछ समय के बाद उनके विश्वस्त रहे पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन दल छोड़कर चले गए।

    हेमंत सोरेन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाकर उन्होंने चुनावी तैयारी आरंभ कर दी। हेमंत सोरेन पर फिलहाल पूरे गठबंधन के नेतृत्व का दारोमदार है। सहूलियत के लिहाज से वे साथी दलों कांग्रेस, राजद और वामदलों के साथ सीट बंटवारे पर समझौता करेंगे।

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    हेमंत सोरेन की चुनौती फिर से सत्ता में वापसी की होगी। उनके कंधे पर चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी होगी। पत्नी कल्पना सोरेन का साथ उन्हें मिलेगा। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन उम्रजनित परेशानियों के कारण चुनाव के दौरान ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाएंगे।

    उधर भाजपा ने भी समय से पहले चुनावी तैयारी आरंभ कर तगड़ी चुनौती दी है। विपरीत परिस्थितियों में जीत दिलाने में माहिर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को राज्य में पार्टी के चुनाव की कमान सौंपने से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा राज्य में सत्ता हासिल करने को लेकर किस कदर गंभीर है। दोनों नेताओं ने सधे हुए कदमों से चाल चली और कई मुद्दे उठाए। इसमें घुसपैठ से लेकर भ्रष्टाचार तक शामिल है।

    इधर हेमंत सोरेन ने जब मंइयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं के लिए मासिक एक हजार रुपये की स्कीम लांच की तो भाजपा ने उसपर पलटवार करते हुए सत्ता में आने पर गोगो दीदी योजना के जरिए 2100 रुपये प्रतिमाह का वादा कर दिया। हालांकि, इसपर एक कदम आगे बढ़ते हुए हेमंत सोरेन ने मंइयां सम्मान योजना की राशि बढ़ाकर 2500 रुपये करने का एलान किया।

    अब देखना यह होगा कि भाजपा इसकी काट में क्या लेकर आती है? भाजपा के नेतृत्व में राजग का कुनबा भी राज्य में बढ़ रहा है। पिछला विधानसभा चुनाव पार्टी ने अकेले लड़ा था। इस बार भाजपा ने आजसू पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा (रामविलास) को भी सीटें देने की घोषणा की है। सीट बंटवारे को लेकर स्थिति लगभग स्पष्ट है। आजसू पार्टी को नौ से 11, जदयू को दो और लोजपा (रामविलास) को एक सीट मिलने का अनुमान है।

    आदिवासी सुरक्षित सीटें होगी सत्ता की चाबी

    राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमोनीत गठबंधन ने इसमें से 26 सीटों पर कब्जा कर बढ़त बनाने में कामयाबी हासिल की थी। भाजपा सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी।

    भाजपा के लिए अभी भी यह चुनौती बरकरार है। इसकी वजह हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव का परिणाम है। लोकसभा चुनाव में सभी पांच आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। सभी सीटें झामुमो-कांग्रेस की झोली में आई।

    कोल्हान और संताल परगना में होगा घमासान

    पिछले विधानसभा चुनाव में 14 सीटों वाले कोल्हान प्रमंडल में भाजपा खाता नहीं खोल पाई थी। इस बार कोल्हान में चम्पाई सोरेन पर दल को भरोसा है। संताल परगना में भी भाजपा ने सेंधमारी की कोशिश करते हुए घुसपैठ का मुद्दा उठाया है।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए राहत की बात यह है कि चम्पाई सोरेन सरीखे नेता के दल छोड़ने के बावजूद कोई मौजूदा विधायक उनके साथ नहीं गया। समय रहते मोर्चा ने दोनों प्रमंडलों में संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने की दिशा में प्रयास किए हैं। संताल परगना में 18 सीटें हैं, जिसमें से 14 पर झामुमो-कांग्रेस काबिज है।

    मतदाताओं को रिझाने का क्रम जारी रहेगा

    फ्री स्कीम से लेकर युवाओं को रोजगार-नौकरी के वादे के साथ पक्ष-विपक्ष चुनाव मैदान में आमने-सामने होगा। हेमंत सरकार के मुफ्त बिजली स्कीम का भी असर होगा। ऐसे में प्रतिद्वंद्वी भाजपा भी मतदाताओं को रिझाने के लिए वादे की पोटली लेकर आएगी।

    भाजपा ने अभी अपने घोषणापत्र का एक चरण घोषित किया है। इसे पंचप्रण का नाम दिया गया है। अभी झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन का घोषणापत्र जारी होना बाकी है।

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