Janki Navami 2020: उल्लासपूर्वक मनाई जा रही जानकी नवमी, मां सीता व श्रीराम के पूजन से दूर होते हैं कष्ट
Janki Navami 2020. लॉकडाउन के बीच धर्मावलंबी अपने घरों में ही मां सीता की उपासना कर रहे हैं। पति की लंबी उम्र के लिए आज के दिन सुहागिनें विशेष रूप से मां सीता की आराधना करती हैं।
रांची, जासं। राजधानी रांची सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जानकी नवमी अर्थात मां सीता का जन्मोत्सव उल्लासपूर्वक मनाया जा रहा है। धर्मावलंबी अपने-अपने घरों में ही शक्ति स्वरूपा की आराधना में जुटे हुए हैं। प्रभु श्रीराम का जन्म चैत शुक्ल पक्ष नवमी जबकि ठीक एक माह बाद बैसाख शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को माता सीता धरती से सदेह अवतरित हुईं थीं। बृहद विष्णु पुराण के अनुसार वैवस्वत मनु के 28वें मनु के त्रेता युग में इक्ष्वाकु वंशीय निमितनय सीरध्वज जनक के हल कर्षण से महामाया जननी सीता सशरीर प्रकट हुई थीं। धर्मशास्त्र के अनुसार नवमी तिथि की स्वामी शक्ति स्वरूपा दुर्गा हैं एवं मघा नक्षत्र के स्वामी पितर हैं। यह दिन जानकी नवमी व्रत, पूजन, मैथिली दिवस, हनुमान ध्वजादान, दीक्षा ग्रहण करने के लिए बेहद शुभ है।
मां सीता से जुड़ी दिव्य रोशनी और झोपड़ी की कहानी
एचईसी के विद्यालय में संस्कृत शिक्षक हृषीकेश चौधरी बताते हैं कि बृहद विष्णु पुराण के अनुसार हल-कर्षण यज्ञ स्थली में राजा जनक के हल की नाेंक के उर्वी (धरती) से स्पर्श होते ही दिव्य तेजमयी मां सीता का प्राकाट्य हुआ। देखते ही देखते आकाश घनघोर बादल से आच्छादित हो गया। देवी-देवतागण मूसलाधार बारिश के रूप में अमृत बरसा रहे थे। कहा जाता है बारिश और तूफान से मां सीता को बचाने के लिए एक मढ़ी (झोपड़ी) बनायी गई। इसी कारण आगे चलकर इस स्थान का नाम सीतामढ़ी पड़ा।
अध्योध्या जाते समय पाकड़ वृक्ष के नीचे सीता ने किया था अल्प विश्राम
सीतामढ़ी-सुरसंड-जनकपुर राजपथ से सटे उत्तर एक मील की दूरी पर पंथ पाकर नाम का गांव है। मान्यता है कि श्रीराम से विवाह होने के बाद मां सीता जब डोली में बैठकर अयोध्या जा रही थी तो पंथ पाकर नामक स्थान पर पाकड़ वृक्ष की छांव में अल्पविश्राम की थीं। बाद में यह स्थल पंथ पाकर नाम से विख्यात हुआ। आज भी यह परंपरा है कि इस मार्ग से कोई दुल्हन यहां से गुजरती है तो कुछ पल यहां जरूर रुकती है।
पूजन के बाद इन मंत्रों के जाप से दूर होते हैं सभी प्रकार के कष्ट
आज के दिन मां जानकी व श्रीराम की विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना के बाद जानकी या हनुमान जी के समक्ष इन मंत्रों के जाप से सभी प्रकार के संताप व कष्टों से छुटकारा मिलता है।
ऊं वंदे विदेह तनया पद पुंडरीकं कैशोर सौरभ समाहृता योगि चित्तम। हंतु त्रिताप मनिशं मुनिहंस सेव्यं सन्मानसालि परिपीत पराग पुंजम।।
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