Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बंद उद्योग-धंधों को खोलने से ही रुकेगी मजदूरों की वापसी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 12 May 2020 12:31 AM (IST)

    राची दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बाहर से प्रवासियों की वापसी को रोकने के लिए उद्योगधंघों को खोलना जरूरी है।

    बंद उद्योग-धंधों को खोलने से ही रुकेगी मजदूरों की वापसी

    राची : दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यह चिंता दोहरी है। एक तो बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के अचानक लौटने से उनकी जाच नहीं हो पा रही है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, उन्हें रोजगार दिलाने को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। राज्य में आर्थिक गतिविधिया शुरू नहीं होने से लगभग 22 लाख कामगारों के समक्ष पहले ही रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। इसका हल यही है कि जितना जल्द हो सके, बंद उद्योग-धंधों को खोला जाए। यह दोनों स्तर पर होना चाहिए। झारखंड में और झारखंड से बाहर भी आर्थिक गतिविधिया शुरू हो।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज्य में हाल के दिनों में प्रवासी मजदूरों में मिले कोरोना संक्रमण से चिंतित स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी भी मानते हैं कि यदि दूसरे राज्यो में उद्योग-धंधे शुरू हो जाएं, तो प्रवासी मजदूर वहा रुक सकते हैं। राज्य को संक्रमण से बचाने के लिए यही सबसे बेहतर रास्ता हो सकता है। दूसरे राज्यों से वर्तमान में जो भी मजदूर लौट रहे हैं, उनमें से अधिसंख्य अकुशल हैं। उन्हें मनरेगा तथा ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं में आशिक रूप से जोड़ा जा सकता है। लेकिन, सबसे बड़ी चिंता यह है कि मुंबई, चेन्नई, सूरत जैसे शहरों में उद्योग-धंधे शीघ्र नहीं खुले, तो बड़ी संख्या में अ‌र्द्धकुशल और कुशल मजदूर भी लौटने लगेंगे। ऐसे मजदूरों को मनरेगा व अन्य योजनाओं में नहीं खपाया जा सकता। इनके लिए फिर राज्य की ही बंद फैक्ट्रियों को खोलना होगा। बता दें कि राज्य में पहले से ही बड़ी संख्या में ऐसे कुशल और अद्धकुशल मानव संसाधन बेरोजगार हैं। राज्य में मई-जून माह में लगभग पाच लाख प्रवासी मजदूर वैसे ही हर वर्ष वापस लौटते हैं। इनमें से लगभग दो लाख मजदूर दूसरे राज्यों के ईंट-भट्ठों में काम करते हैं, जहा बरसात से पहले काम बंद हो जाता है। ऐसे में बड़ी संख्या में मजदूर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, मुंबई आदि से लौटने के बाद धान की खेती में जुट जाते हैं। इन मजदूरों के रोजगार के लिए अधिक परेशानी नहीं होगी। परेशानी लगभग तीन लाख उन मजदूरों के लिए होगी, जो खेती से जुड़े नहीं होते।

    यह है स्थिति

    - राज्य में निबंधित बेरोजगार : 6,68357 (आइटीआइ उत्तीर्ण - 50,000 डिप्लोमा - 59,133, सर्टिफिकेट उत्तीर्ण - 5,048, अन्य एकेडिमक डिग्री वाले बेरोजगार हैं।)

    - भवन एवं अन्य निर्माण क्षेत्र में कार्यरत निबंधित कामगार : 09 लाख

    - असंगठित एवं निबंधित : 13 लाख

    - हाल ही में अभियान के तहत निबंधित : 09 लाख

    - बाहर से लौटने वाले मजदूर : अकुशल - लगभग 08 लाख, अद्धकुशल : लगभग 04 लाख, कुशल - लगभग 02 लाख। क्षेत्रवार स्थिति :

    1. राची क्षेत्र

    - उद्योगों की संख्या : 856

    - लाकडाउन से पूर्व चल रही कंपनिया : 36

    - लाकडाउन के बाद यूनिट शुरू हुए : 01

    ---------

    2. बोकारो क्षेत्र

    - उद्योगों की संख्या : 557

    - लाकडाउन से पूर्व चल रही कंपनिया : 10

    - लाकडाउन के बाद यूनिट शुरू हुए : 03

    --------

    3. आदित्यपुर क्षेत्र

    - उद्योगों की संख्या : 1379

    - लाकडाउन से पूर्व चल रही कंपनिया : 25

    - लाकडाउन के बाद यूनिट शुरू हुए : 17

    ---------

    4. संताल परगना क्षेत्र

    - उद्योगों की संख्या : 42

    - लाकडाउन से पूर्व चल रही कंपनिया : 13

    - लाकडाउन के बाद यूनिट शुरू हुए : 06

    ---------

    - झारखंड में हर श्रेणी (छोटे, बड़े, मंझोले, कुटीर) की कुल औद्योगिक इकाइया : 5080

    - 20 अप्रैल 2020 से पूर्व कितनी चालू अवस्था में : 358

    - 20 अप्रैल के बाद फिर से कितनी कंपनिया संचालित : 152