Lok Sabha Election: कांग्रेस-JMM के बीच सीट बंटवारे पर 'टशन' ने बढ़ाई टेंशन, I.N.D.I.A में फिर खटपट तेज!
लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही सीट शेयरिंग को लेकर इंडी गठबंधन में हलचल तेज हो गई है। झारखंड में भी गठबंधन के पार्टियों के बीच सीट बंटवारे की सुगबुगाहटें बढ़ गई है। ऐसे में सीट बंटवारे पर जानकारी यह है कि कांग्रेस के फॉर्मूल से हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो के अंदरखाने नाराजगी बढ़ गई है और बात आलाकमान तक पहुंचने की आशंका है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ सहमति बनाई है। अभी तक गठबंधन के मंच से आधिकारिक तौर पर यह घोषित नहीं हुआ है। झामुमो की रणनीति यही थी कि अंतिम वक्त में इसकी घोषणा की जाए, लेकिन कांग्रेस की सीटों को लेकर घोषणा से झामुमो खेमा असहज है।
इसे कांग्रेस नेताओं की व्यग्रता के तौर पर देखा जा रहा है, जबकि तय हुआ था कि घोषणा को लेकर धैर्य रखा जाए। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला सार्वजनिक कर दिया। उन्होंने सात सीटों पर कांग्रेस, पांच पर झामुमो और एक-एक सीट पर राजद और भाकपा (माले) प्रत्याशी उतारने की बात कह दी।
इसे लेकर भितरखाने झामुमो ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई है कि इससे परिणाम के साथ-साथ उसकी सांगठनिक गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। झामुमो ने तय किया है कि सीटों के तालमेल को लेकर अब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बात होगी।
झामुमो की कोशिश है कि कम से कम एक और सीट पाले में आए। दबाव लोहरदगा सीट को लेकर है। हालांकि, कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। कांग्रेस ने सिंहभूम संसदीय सीट पर पहले ही दावेदारी छोड़ दी है। इस सीट से झामुमो अपना प्रत्याशी देगा। इसके लिए नाम चयन करने की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल, कांग्रेस की आपाधापी ने झामुमो के शीर्ष नेतृत्व को थोड़ा अपसेट कर दिया है।
झामुमो का फॉर्मूला- जहां जीत पाएं, वहीं लड़ें
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गठबंधन के तहत झामुमो को चार सीटें दी थी। झामुमो ने एक सीट पर जीत हासिल की। उधर, कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लड़ने के बावजूद एक ही सीट जीत पाई। कई स्थानों पर प्रत्याशी बुरी तरह हारे। इसे लेकर झामुमो ने इस बार यह दबाव बनाया कि उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ें, जहां जीतने की क्षमता वाले प्रत्याशी खड़े हों।
झामुमो ने उदाहरण के तौर पर धनबाद सीट का हवाला दिया था, जहां से क्रिकेटर कीर्ति आजाद खड़े हुए थे। आजाद को करारी शिकस्त मिली। ऐसे प्रत्याशियों से दूरी बनाने को कहा गया। इसके अलावा विधायकों की संख्या को भी आधार बनाया गया। सिंहभूम सीट इसी फार्मूले के तहत झामुमो की झोली में गिरी है।
लोहरदगा को लेकर भी इसी फार्मूले का हवाला दिया जा रहा है। हालांकि अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। झामुमो की अपेक्षा है कि गठबंधन को लेकर तय बातें अंदरूनी बैठकों में हो। इसे लेकर सार्वजनिक तौर पर बोलने से तब तक परहेज किया जाए, जबतक नई दिल्ली से हरी झंडी नहीं मिल जाती।
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