Lok Sabha Elections: कहीं फिर बाजी न मार ले भाजपा! I.N.D.I.A में सीटों की खींचतान बिगाड़ सकती है सियासी समीकरण
Lok Sabha Elections लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही सभी दलों में हलचल बढ़ गई है। पिछले चुनाव परिणामों से सीख लेते हुए आइएनडीआइए इस चुनाव में दोस्ताना लड़ाइयों से तौबा करने के मूड में है। राष्ट्रीय जनता दल और कुछ अन्य वामपंथी दल दोस्ताना लड़ाई का माहौल बनाए हुए हैं जबकि कांग्रेस ऐसा किसी हाल में होने नहीं देना चाहती।

राज्य ब्यूरो, रांची। पिछले चुनाव परिणामों से सीख लेते हुए आइएनडीआइए इस आम चुनाव में दोस्ताना लड़ाइयों से तौबा करने के मूड में है। राष्ट्रीय जनता दल और कुछ अन्य वामपंथी दल दोस्ताना लड़ाई का माहौल बनाए हुए हैं, जबकि कांग्रेस ऐसा किसी हाल में होने नहीं देना चाहती।
पिछले चुनाव में इसका खामियाजा तत्कालीन संयुक्त प्रजातांत्रिक गठबंधन, संप्रग को उठाना पड़ा था। कोडरमा, चतरा, पलामू आदि कई सीटों पर भाजपा के खिलाफ दो या दो से अधिक दलों ने उम्मीदवार दिए थे और विपक्ष में बिखराव का फायदा उठाकर भाजपा ने इन तमाम सीटों पर बाजी मारी थी।
राजद पलामू और चतरा पर फिर से दावा ठोका
वर्तमान हालात में एक बार फिर इसी तरह के समीकरण बन रहे हैं और आइएनडीआइए के कई दल एक ही सीट पर दावेदारी करते दिख रहे हैं। राजद पलामू और चतरा पर फिर से दावा ठोक रहा है, जबकि इन सीटों पर कांग्रेस भी उम्मीदवार तलाश रही है। कोडरमा में कांग्रेस के अलावा भाकपा माले भी उम्मीदवार देने की तैयारियों में जुटा है। अन्य कई सीटों पर इसी तरह का माहौल है।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर स्पष्ट तौर पर दोस्ताना लड़ाई के फॉर्मूले का विरोध करते रहे हैं और दावा करते हैं कि जिस पार्टी को जितनी सीट मिलेगी, उतने ही उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इस बार कांग्रेस दोस्ताना लड़ाई का खामियाजा उठाने से बचना चाह रही है।
गठबंधन दलों को इसके लिए तैयार करना कांग्रेस के लिए आसान भी नहीं है। झारखंड में आइएनडीआइए का सबसे बड़ा घटक झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम लिए बैठा है। ऐसी ही सीटों में सिंहभूम और रांची भी शामिल है।
गीता कोड़ा के भाजपा में जाने से सिंहभूम सीट पर संशय
सिहंभूम से कांग्रेस की सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में चले जाने के बाद झामुमो का दावा बनता दिख रहा है, लेकिन अभी कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है। रांची में भी झामुमो दावेदारी करता दिख रहा है। यहां से सांसद रह चुके कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय केंद्र में मंत्री भी बने थे और एक बार फिर इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं।
पिछली बार लोकसभा चुनाव के दौरान आइएनडीआइए के घटक दलों के बीच समन्वय का अभाव स्पष्ट दिखा था। कोडरमा से झारखंड विकास मोर्चा के नेता बाबूलाल मरांडी कांग्रेस के समर्थन से मैदान में थे तो सीपीआइ एमएल के राजकुमार यादव भी किस्मत आजमा रहे थे।
इसी प्रकार चतरा से कांग्रेस के वरीय नेता मनोज कुमार यादव और राजद के सुभाष प्रसाद यादव ने अपनी-अपनी दावेदारी ठोक दी थी। पलामू से राजद के घूरन राम मैदान में थे तो बसपा की अंजना भुइयां भी लड़ी थी। तीनों सीटों पर भाजपा ने बड़े अंतर से संपग्र के उम्मीदवारों को हराया था। ऐसी स्थिति 2024 में नहीं होने देने को लेकर आइएनडीआइए के नेता पूरी शिद्दत से लगे हुए हैं।
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