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    सुखाड़ ने किसानों को दिया संदेश... इस तरीके से करें धान की खेती, आय भी बढ़ेगी; तरीका जानें

    By Sanjay KumarEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 08:28 AM (IST)

    Paddy Farming झारखंड में इस साल पड़े सुखाड़ ने एक बार फिर से किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कृषि अनुसंधान केंद्र का कहना है कि कसानों को परंपरागत खेती छोड़ धान के लिए नया तरीका अपनाने की जरूरत है। इससे आय भी बढ़ेगी।

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    Paddy Farming: धान की खेती का नया तरीका।

    मेदिनीनगर (पलामू), [मृत्युंजय पाठक]। Paddy Farming झारखंड का 90 फीसद कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है। और हर तीन-चार साल के अंतराल पर वर्षा धोखा देती है। मुख्य फसल धान की खेती चौपट हो जाती है। इसके बाद सुखाड़ और अकाल का रोना किसान रोते रहते हैं। इस साल फिर सुखाड़ है और चहुंओर इसकी त्रासदी देखने को मिल रही है। आखिर यह कब तक चलेगा? इसका जवाब क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र चियांकी ने दिया है। संदेश यह है कि किसान खेती का तरीका बदलें। परंपरागत तरीके से धान का रोपा करने के बजाय सीधी बुआई करें। व्यवसायिक और वैज्ञानिक खेती करें। सुखाड़ में भी किसान परेशान नहीं होंगे। आय भी बढ़ेगी।

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    कृषि अनुसंधान केंद्र में लहलहा रही धान की फसल

    पलामू प्रमंडल की मुख्य फसल धान है। इस साल अभूतपूर्व सुखाड़ का सामना करना पड़ रहा है। पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले में करीब 5 फीसद धान का रोपा हुआ है। ऐसा ही हाल करीब-करीब पूरे झारखंड में है। दूसरी तरफ क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र चियांकी में धान की फसल लहलहा रही हैं। धान की बालियां निकल आईं हैं। यह नजारा देख कोई भी नहीं बोलेगा कि पलामू प्रमंडल सुखाड़ का सामना कर रहा है।

    बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के मुख्य वैज्ञानिक और पलामू के चियांकी स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च डा. डीएन सिंह ने कहते हैं-यहां वैज्ञानिक तरीके से धान की खेती हो रही है। कुछ खेतों में प्रयोग के तौर रोपा न कर इसकी सीधी बुआई की गई है। इस तरीके को किसानों का अपनाना चाहिए। कम पानी में भी धान की अच्छी फसल होगी।

    कैसे होती सीधी बुआई

    आम तौर पर झारखंड समेत पूरे देश में धान की परंपरागत तरीके से खेती होती है। पहले बिचड़ा तैयार किया जाता है। इसके बाद खेतों में पानी जमा होने के बाद लेव लगाकर रोपा किया जाता है। सीधी बुआई में खेतों में सीधे धान का बीज डिबलिंग कर डाल दिया जाता है। कम पानी में भी फसल तैयार हो जाती है। इन दिनों विदेशों में इसी तरीके से धान की खेती की जा रही है।

    हर खेत में धान ही क्यों?

    खरीफ सीजन में ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं। यह न सिर्फ पलामू बल्कि झारखंड की रवायत है। एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च डा. डीएन सिंह कहते हैं कि किसानों को धान की खेती का मोह छोड़ना होगा। खेती में विविधता लानी होगी। धान की खेतों में मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जी, तोरिया, मूली, गाजर, धनिया, मड़ुआ, ज्वार, बाजरा आदि लगाने पर जोर देना होगा। कम वर्षा में भी ये फसलें होंगी। धान के मुकाबले पोषण और पैसा दोनों से किसान फायदे में रहेंगे।