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    Shibu Soren: जब दो विधायकों की लड़ाई में फंसे थे लंबोदर महतो, शिबू सोरेन ने ऐसे निकाला था हल

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 05:06 PM (IST)

    शिबू सोरेन जब मुख्यमंत्री थे तब लंबोदर महतो रामगढ़ के गोला में बीडीओ थे। एक घटना में उनके ट्रांसफर को लेकर दो विधायकों के बीच विवाद हो गया। सुफल मरांडी उनका ट्रांसफर रुकवाना चाहते थे क्योंकि वे महेशपुर में लोकप्रिय थे। चंद्र प्रकाश चौधरी भी चाहते थे कि उनका ट्रांसफर हो। गुरुजी ने सुफल मरांडी को समझाकर मामला शांत किया।

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    पूर्व विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने सुनाई कहानी। (जागरण फोटो)

    जागरण संवाददाता, रांची। दिशोम गुरु शिबू सोरेन जब मुख्यमंत्री थे, तब राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे पूर्व विधायक डॉ. लंबोदर महतो उनके गृह प्रखंड रामगढ़ जिला के गोला में बीड़ीओ थे।

    दिशोम गुरु ने ही उनका पदस्थापन वहां कराया था। डॉ. लंबोदर महतो बताते हैं कि कैसे उनके स्थानांतरण को लेकर दो विधायकों के बीच की लडाई को उन्होंने अपने प्रजेंट ऑफ माइंड से सुलझाया था।

    बकौल पूर्व विधायक, 'मैं वर्ष 2006- 07 में पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड में बीडीओ के रूप में पदस्थापित था। गुरुजी मुख्यमंत्री थे। सुफल मरांडी महेशपुर के झामुमो विधायक थे और चंद्र प्रकाश चौधरी जी रामगढ़ के विधायक और गठबंधन सरकार में मंत्री।

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    ट्रांसफर रोकिए या मेरा इस्तीफा लीजिए

    चंद्र प्रकाश चौधरी जी ने मेरा एक साल के अंदर ही महेशपुर से बीडीओ के रूप में गोला ट्रांसफर करवा दिया। इस मामले को लेकर विधायक सुफल मरांडी गुरु जी के पास पहुंच गए। उन्होंने गुरु जी से कहा कि या तो लंबोदर महतो का ट्रांसफर रोकिए या मेरा इस्तीफा ले लीजिए।

    जब यह बात मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी जी के पास पहुंची तो वो भी गुरु जी पास चले गए और उनसे कहा कि अगर लंबोदर महतो का ट्रांसफर रद हुआ तो सुफल जी विधायक होकर इस्तीफा दे सकते हैं तो मैं भी मंत्री और विधायकी से इस्तीफा दे दूंगा।

    इस पर गुरुजी सोच में पड़ गए कि क्या करें क्या नहीं करें। तब गुरुजी ने अपने प्रजेंस ऑफ माइंड का प्रयोग करते हुए सुफल जी को बुलाकर उन्हें समझाया कि लंबोदर महतो चूंकि एक अच्छे पदाधिकारी हैं, इसलिए मैंने ही कहा था कि इनका पोस्टिंग मेरे गृह प्रखंड गोला में करो।

    मेरे कहने पर ही इनकी पोस्टिंग गोला हुई है। महेशपुर में जिस अधिकारी का कहो पोस्टिंग करवा देंगे। इस पर सुफल जी मान गए और मामला शांत हो गया।

    दरअसल, सुफल मरांडी उनका तबादला इसलिए रोकवाना चाहते थे क्योंकि डॉ. लंबोदर अपने प्रशासनिक कार्यों व जन साधारण के साथ जुड़ाव की वजह से महेशपुर में लोकप्रिय हो गए थे।

    इधर, गोला स्थानांतरण के बाद गुरुजी के निर्देश पर एसजीआरआई से उनके घर के सामने और पीछे का तालाब और सामने रोड का निर्माण उन्होंने ही कराया था।

    पहली बार गुरुजी के साथ मंच किया साझा

    डॉ. लंबोदर महतो बताते हैं, वर्ष 1980 की बात है। कसमार प्रखंड के हिसीम गांव में गुरु जी की जनसभा थी। इस जनसभा में मैं भी मंच पर गुरुजी के साथ उपस्थित हुआ था। यह मेरे छात्र जीवन एवं राजनीतिक जीवन का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिसमें मेरा पहला भाषण हुआ था।

    मेरे भाषण से गुरु जी काफी प्रभावित होकर मुझे झारखंड आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने और राजनीति में आने हेतु प्रोत्साहित किए थे। गुरुजी उस कार्यक्रम में खोरठा में भाषण दिए थे, जो स्थानीय लोगों को खूब भाया था।

    ऐसे ही गुणों से वे जनता में न केवल लोकप्रिय थे, बल्कि जननायक माने जाते थे। आज भी उनकी जननायक की छवि लोगों के मन-मष्तिष्क में है।

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