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    जनता के लिए आए करोड़ों रुपये लैप्स होने पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांग लिया जवाब; ये है पूरा मामला

    Updated: Tue, 25 Jun 2024 11:18 AM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने चतरा में सुखाड़ राहत के पैसे लैप्स होने के मामले में सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। 2018-19 में सुखाड़ के बाद सरकार से मिलने वाली राशि अधिकारियों की लापरवाही के कारण वितरण नहीं हो पाया था। इसे लेकर जयद्रथ सिंह की ओर से याचिका दाखिल की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता राहुल कुमार और मनोज कुमार चौबे ने अदालत में पक्ष रखा।

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    जनता के लिए आए करोड़ों रुपये लैप्स होने पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांग लिया जवाब (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में चतरा जिले में सुखाड़ राहत का नौ करोड़ रुपया लैप्स होने के मामले में सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

    वर्ष 2018-19 में हुए सुखाड़ के बाद सरकार से मिलने वाली राहत राशि अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों के बीच वितरण नहीं हो पाया था और सुखाड़ राहत की राशि वापस हो गई थी। इसको लेकर प्रार्थी जयद्रथ सिंह की ओर से याचिका दाखिल की गई है।

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    उनकी ओर से अधिवक्ता राहुल कुमार और मनोज कुमार ने चौबे अदालत में पक्ष रखा। याचिका में कहा गया है कि किसानों की सूची उपलब्ध नहीं कराने के कारण राज्य सरकार द्वारा सुखाड़ राहत के लिए आवंटित 8.94 करोड़ की लैप्स हो गई।

    जिला स्तर से सभी प्रखंडों से प्रस्ताव मांगा गया लेकिन किसी ने भी समय पर किसानों की सूची उपलब्ध नहीं कराया। वर्ष 2018-19 में जिले के नौ प्रखंडों को सूखा घोषित किया था, जिसमें चतरा, इंटरगंज, प्रतापपुर, कुंदा, लाव्वालौर कानाचट्टो, इटखोरी, पत्थला और मयूरखंड प्रखंड शामिल है।

    क्या है पूरा मामला

    उपयुक्त प्रखंडों में धान का उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ था। सुखाड़ का आकलन के लिए प्रदेश स्तरीय टीम ने प्रभावित प्रखंडों का निरीक्षण किया था, जिसके बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य आपदा विधि से संबंधित प्रखंडों के किसानों के लिए 8.94 करोड़ की राशि का आवंटन जिला आपदा प्रबंधन को भेजा।

    आवंटन के आलोक में नौ अक्टूबर 2019 को अपर समाहर्ता संतोष कुमार सिन्हा ने जिला कृषि पदाधिकारी एवं संबंधित सभी अंचलों के अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए अनुदान राशि को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव मांगा।

    किसी भी अंचल से न तो प्रस्ताव आया और न ही प्रभावित किसानों की सूची भेजी। इसी बीच विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। चुनाव संपन्न होने के बाद भी अधिकारियों ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण सुखाड़ राहत की राशि लैप्स कर गई।

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