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    DSP की वरीयता सूची जारी करने में हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, अब ऐसे बनेगी नई सूची

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 08:19 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के डीएसपी की वरीयता सूची के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह डीएसपी पद के लिए 2010 में हुई जेपीएससी की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर नई वरीयता सूची जारी करे।राज्य सरकार को चार माह का समय दिया है।

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    जेपीएससी में मिले अंकों के आधार पर डीएसपी की वरीयता सूची बनाने का निर्देश ।

    राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने राज्य के डीएसपी की वरीयता सूची के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने वर्ष 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी की गई वरीयता सूची को अवैध घोषित करते हुए निरस्त कर दिया है।

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    अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह डीएसपी पद के लिए 2010 में हुई जेपीएससी की परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर नई वरीयता सूची जारी करे।

    अदालत ने राज्य सरकार को चार माह के भीतर नई वरीयता सूची जारी करने का आदेश दिया है। प्रार्थियों को वरीयता के आधार पर मिलने वाले सभी लाभ भी देने को कहा है।

    इस संबंध में नजीर अख्तर सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से

    अधिवक्ता नवीन कुमार ने अदालत को बताया कि प्रार्थियों की नियुक्ति वर्ष 2010 में जेपीएससी की ओर से ली गई परीक्षा के आधार पर डीएसपी पद पर हुई थी।

    उनकी वरीयता का निर्धारण जेपीएससी की ओर से तैयार मेरिट लिस्ट के आधार पर होना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार ने 2012 के नियमों को लागू करते हुए प्रशिक्षण के अंकों को भी इसमें शामिल कर लिया। इस नियमों को भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू किया गया था, जो कि अनुचित है।

    इस पर अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय जो नियम लागू थे, उन्हीं के आधार पर वरीयता तय की जानी चाहिए। चूंकि 2012 के नियम भर्ती के बाद लागू हुए थे, इसलिए प्रार्थियों पर इसे लागू नहीं किया जा सकता।

    अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने 2012 के नियमों को आंशिक रूप से लागू किया था, जिसमें जिला प्रशिक्षण के अंकों को शामिल नहीं किया गया था।

    सरकार की यह कार्रवाई मनमानी और अवैध थी। इसके बाद अदालत ने 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी की गई सभी वरीयता सूची को अवैध घोषित किया है।