Hemant Soren: इस मामले में केंद्र सरकार का साथ देंगे हेमंत सोरेन, कहा- हां मिलकर करेंगे काम
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र के साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया है। उन्होंने कोयला खनन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र का साथ देने का एलान किया है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की और निदान पर ध्यान केंद्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला खनन के विभिन्न पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand Political News Hindi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की मौजूदगी में शीर्ष अधिकारियों की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने विवाद के पुराने मुद्दे भी उठाए लेकिन साथ ही साथ निदान पर भी फोकस किया।
राज्य सरकार के वरीय पदाधिकारियों तथा कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया की अनुषंगी इकाइयों के अधिकारियों बीच कोयला खनन से जुड़े विभिन्न मुद्दों तथा उसके समाधान को लेकर उच्च स्तरीय बैठक में कई मामले निदान की ओर भी बढ़े।
कोयला खनन पर बोले सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला एक ऐसा विषय है, जिसके तहत इसके खनन, उत्पादन, परिवहन, जमीन अधिग्रहण मुआवजा, विस्थापन के साथ डीएमएफटी फंड एवं सीएसआर गतिविधियों को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
इससे कोल माइनिंग से संबंधित समस्याओं का जहां समाधान निकलेगा वहीं लोगों के बीच माइनिंग को लेकर जो नकारात्मक मानसिकता बनती है उसे बदलने में भी सहूलियत होगी। इससे लोगों की उम्मीदें भी जागेगी और कोल परियोजनाओं को लेकर जो समस्याएं उत्पन्न होती है, उसको काफी हद तक रोका जा सकता है।
1.36 लाख करोड़ के बकाया पर भुगतान का भरोसा दिया
बैठक में खनिज रायल्टी को लेकर राज्य सरकार ने विषयवार/क्षेत्रवार अलग-अलग परियोजनावार बकाया राशि का आकलन रिपोर्ट जो जिलास्तर पर खनन कंपनियां के साथ तैयार किया गया है को केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष रखा। उस बकाये तथा गणना का आधार उपलब्ध कराया गया।
जिस पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार के अधिकारी, राज्य सरकार के साथ मिलकर इसकी प्रमाणिकता का आकलन करें। केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री को बकाया के भुगतान का भरोसा दिलाया।
विस्थापित रैयतों को स्टेक होल्डर बनाने पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल खनन परियोजनाओं को लेकर जमीन अधिग्रहण के क्रम में जो रैयत विस्थापित होते हैं, उन्हें सिर्फ मुआवजा और नौकरी देने की व्यवस्था से हमें आगे बढ़ाने की जरूरत है।
विस्थापित रैयतों को खनन परियोजनाओं में स्टेक होल्डर बनाकर हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।
इससे उनका हम विश्वास भी जीतेंगे और सीएसआर से जुड़ी गतिविधियों तथा डीएमएफटी फंड का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने खनन परियोजनाओं में छोटे-मोटे कार्यों का टेंडर विस्थापितों को मिलना चाहिए। इस दिशा में कोल मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करें।
लोगों के भावनात्मक लगाव का पूरा ख्याल रखने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में जमीन से लोगों का भावनात्मक लगाव होता है। ऐसे में जब खनन परियोजनाओं को लेकर जमीन अधिग्रहण होता है तो लोगों को काफी तकलीफ होती है।
वे अपनी जमीन से अलग होना नहीं चाहते हैं। विस्थापितों को सिर्फ मुआवजा तथा नौकरी देकर सारी खुशियां नहीं दे सकते हैं। ऐसे में जमीन अधिग्रहण से जो रैयत विस्थापित होते हैं उनकी इस तरह भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि वे अपना पूरा सहयोग सरकार और कोयला कंपनियों को दे सकें।
जहां माइनिंग आपरेशन पूरा हो चुका है, वह जमीन राज्य को वापस मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ऐसी कई कोल परियोजनाएं हैं, जहां खनन का कार्य पूरा हो चुका है और कोल कंपनियों के द्वारा उस जमीन को यूं ही छोड़ दिया गया है । वह जमीन ना तो राज्य सरकार को हस्तांतरित की जा रही है और ना ही उसका कोई सदुपयोग हो रहा है।
इस वजह से बंद हो चुकी कोल खनन परियोजनाओं में अवैध माइनिंग हो रही है, जिस वजह से कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। ऐसे में पड़े खदानों की जमीन राज्य सरकार को वापस किया जाय।
सीएसआर कार्यों की जानकारी ली
मुख्यमंत्री ने बैठक में कोल कंपनियों के द्वारा कोयला खनन क्षेत्र में चल रहे सीएसआर एक्टिविटीज और डीएमएफटी फंड के इस्तेमाल की जानकारी ली। कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कोल कंपनियों के द्वारा कोल खनन क्षेत्र के 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव या इलाके में सीएसआर एक्टिविटी संचालित की जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएसआर एक्टिविटीज का दायरा और बढ़ना चाहिए। कोयला खनन परियोजनाओं के कम से कम 50 किलोमीटर के रेडियस में सीएसआर एक्टिविटीज के तहत क्षेत्र के विकास से जुड़ी योजनाओं को लागू किया जाए।
झरिया की आग और घाटशिला में गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिजों का जिस तरह से खनन हो रहा है उससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इस दिशा में गंभीरता से सोच कर कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि झरिया में जमीन के नीचे वर्षों से आग लगी हुई है लेकिन उस पर अभी तक नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
वही घाटशिला, जादूगोड़ा में यूरेनियम के खनन की वजह से लोगों के समक्ष स्वास्थ्य से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं आ रही है। इसका निदान होना चाहिए। कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि कोयला खदानों के नीचे लगी आग को बुझाने और खनन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मामले में केंद्र सरकार आवश्यक कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए कई अहम सुझाव
- कोल कंपनियां यहां स्थायी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की पहल करे। इन प्रशिक्षण केंद्र में विस्थापित परिवारों के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाए।
- माइनिंग कार्यों में भी महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं।
- निजी कंपनियों को आवंटित ब्लाक में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- झारखंड में माइनिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में भी कोयला मंत्रालय कदम बढ़ाए।
- कोल इंडिया का मुख्यालय झारखंड में लाने का एक बार फिर आग्रह किया।
ये वरिष्ठ अधिकारी मीटिंग में थे शामिल
गुरुवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव अलका तिवारी, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, केंद्रीय कोयला सचिव विक्रम देव, एडिशनल सेक्रेटरी श्रीमती विस्मिता तेज, राज्य सरकार में सचिव अबू बकर सिद्दीख, प्रशांत कुमार, चंद्रशेखर, जितेंद्र सिंह, उमाशंकर सिंह, निदेशक खनन राहुल कुमार सिन्हा, प्रमंडलीय आयुक्त अंजनी कुमार मिश्रा, कोल इंडिया के अध्यक्ष पीएम प्रसाद, सीसीएल के सीएमडी निलेन्दु कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
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