PESA Act पर हाई कोर्ट में सुनवाई, सरकार ने बालू-खनन पर रोक हटाने की रखी मांग
झारखंड में पेसा एक्ट को लागू नहीं किए जाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि राज्य सरकार आदिवासी स्वशासन और ग्रामसभा को अधिकार देने वाले पेसा कानून को अब तक प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाई है इस दौरान सरकार ने बालू और लघु खनिज खनन पर लगी रोक हटाने की मांग की।

राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड में पेसा एक्ट (PESA Act) को लागू नहीं किए जाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि राज्य सरकार आदिवासी स्वशासन और ग्रामसभा को अधिकार देने वाले पेसा कानून को अब तक प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाई है, जो न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना है।
बालू और लघु खनिज खनन पर लगी रोक हटाने की मांग
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक अहम आग्रह किया गया। सरकार ने अदालत से निवेदन किया कि बालू और लघु खनिजों के खनन पर जो अंतरिम रोक लगी है, उसे हटाया जाए।
सरकार का तर्क था कि इस रोक के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं और राजस्व की हानि हो रही है। साथ ही, कई पंचायतों में रोजगार के अवसर भी बाधित हो रहे हैं।
कोर्ट ने नहीं दिया तत्काल आदेश, अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को
अदालत ने सरकार की मांग पर तत्काल कोई आदेश पारित नहीं किया। न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 अक्टूबर 2025 की तिथि निर्धारित की है। तब तक इस मामले पर यथास्थिति बनी रहेगी।
यह मामला झारखंड में आदिवासी अधिकारों, स्थानीय स्वशासन और खनिज संसाधनों के दोहन से जुड़े अहम मुद्दों को लेकर अत्यंत संवेदनशील माना जा रहा है।
पेसा एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन न केवल ग्रामसभा को सशक्त करेगा, बल्कि पारंपरिक अधिकारों की रक्षा भी करेगा।
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