Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand Crime: 27 साल बाद पूरी हुई सुनवाई, 200 रुपये के लिए हत्या के सजायाफ्ता की अपील पर फैसला सुरक्षित

    Updated: Wed, 20 Nov 2024 08:32 AM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने 200 रुपये के लिए हत्या के सजायाफ्ता की अपील याचिका पर 27 साल बाद सुनवाई पूरी कर ली है। तीन सितंबर 1993 को देवघर के जसीडीह थाना क्ष ...और पढ़ें

    Hero Image
    देवघर में उधार के पैसे लौटाने को लेकर हुई हत्या के मामले में हुई सुनवाई।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने मात्र 200 रुपये के लिए हत्या के सजायाफ्ता की अपील याचिका पर 27 साल बाद सुनवाई पूरी करने के बाद मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन सितंबर 1993 को दे घर के जसीडीह थाना क्षेत्र में नन्नू लाल महतो की हत्या हुई थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस मामले में दे घर की निचली अदालत ने छह जून 1997 को आरोपित लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित एवं किशुन पंडित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद सभी ने वर्ष 1997 में पटना हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की। पटना हाई कोर्ट ने सभी को जमानत प्रदान कर दी।

    पटना से झारखंड हाईकोर्ट आया था मामला

    • झारखंड राज्य के गठन के बाद यह मामला पटना से झारखंड हाई कोर्ट स्थानांतरित हुआ। इसके बाद प्रार्थियों की ओर से किसी वकील ने पैरवी नहीं की। इस कारण 24 साल तक यह मामला लंबित रहा।
    • झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने इसी माह प्रार्थी का पक्ष रखने के लिए हाई कोर्ट के एक वकील को न्याय मित्र नियुक्त किया। इसके बाद मंगलवार को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

    नन्नू लाल महतो ने उधार लिए थे 200 रुपये

    घटना के बारे में बताया जाता है कि लखन पंडित ने नन्नू लाल महतो से 200 रुपये यह कहते हुए उधार लिया था कि उसके खेत पर काम कर यह पैसा लौटा देगा। लेकिन लखन पंडित ने खेत में योगदान नहीं दिया और न ही नन्नू लाल महतो का पैसा लौटाया।

    इसके बाद तीन सितंबर 1993 को महतो उससे पैसा मांगने उसके गांव शाम छह बजे गया, लेकिन वह घर नहीं लौटा था। इसके बाद उसके परिजन बिस्वरिया गांव पहुंचे जहां नन्नू लाल के बेटे भैरव महतो ने देखा कि उसके पिता को लखन पंडित सहित अन्य आरोपित घेर कर रखे हुए है। वे टांगी और लाठी से लैस थे।

    उन्होंने नन्नू लाल महतो की पिटाई की थी, जिससे वह अचेत हो गए थे। भैरव महतो को भी आरोपितों ने जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद वह वहां से भाग गया। दसरे दिन एक अन्य गांव में नन्नू लाल महतो की लाश मिली थी।

    गवाही देने नहीं पहुंचा कोई कोर्ट, आरोपित बरी

    वहीं, दूसरी ओर डकैती से जुड़े एक मामले में अपर न्यायायुक्त संजीव झा की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित बरी कर दिया। ट्रायल के दौरान कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी, सूचक सहित अन्य गवाहों को कई बार बुलाया। जब कोई नहीं पहुंचा तो कोर्ट ने सदर थाना, एसएसपी एवं डीजीपी तक को गवाहों को लाने के बारे सूचना दी।

    इससे पहले कोर्ट ने गवाहों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इसके बाद एसएसपी रांची से लेकर डीजीपी तक को पत्र लिखा। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को डकैती का केस साबित करने का मौका दिया। लेकिन कई कोशिशों के बाद जब गवाह नहीं पहुंचा तो कोर्ट ने मामले के आरोपित जाफर खान को रिहा कर दिया।

    घटना को लेकर बड़गाई तालाब का रहने वाले अजमल हुसैन ने 17 अगस्त 2021 को सदर थाना में प्राथमिकी कराई थी। अजमल के साथ घटना नौ अगस्त 2021 को घटी थी। जब वह अपने बेटे के साथ दवा लेकर रात 11.30 बजे घर लौट रहा था।

    उसी दौरान बड़गाई चौक के निकट तीन टेम्पो सवार ने लूटपाट की और मारकर जख्मी कर दिया था। घटना में उसका पैर टूट गया था। घटना को सही पाते हुए जांच अधिकारी एसआइ विकास कुमार ने 30 जनवरी 2022 को जाफर खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

    पुलिस ने डकैती के आरोप में जाफर खान को 13 दिसंबर 2021 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दो महीने से अधिक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी। ढाई साल बाद उसे अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

    यह भी पढ़ें

    Jharkhand News: चक्रधरपुर में झड़प के बाद जमकर चली गोली, इलाके में सनसनी; बदमाशों की स्कूटी जब्त

    Jharkhand News: गढ़वा में थाना प्रभारी समेत 2 पुलिस अधिकारियों को कोर्ट ने भेजा समन, 20 दिसंबर को हाजिर होने का आदेश