Jharkhand News: क्या सड़क निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई पर लगेगी लगाम? हाईकोर्ट और NHAI के बीच हुई चर्चा
झारखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एनएचएआई और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने की मांग पर जोर दिया है और अनुबंध सिस्टम पर सवाल उठाया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुबंध सिस्टम से ही होता है इसे बनाने वाले मंगल ग्रह से नहीं आते और पूछा कि इसे अनुबंध का हिस्सा क्यों नहीं बनाया जा सकता।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें मांग की गई थी कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान सड़क किनारे लगे पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें अन्यत्र ट्रांसलोकेट किया जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा कि सड़क किनारे लगे पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने में क्या कठिनाई है। इस पर एनएचएआई ने बताया कि यह अनुबंध का हिस्सा नहीं है और उनके पास पेड़ों को उखाड़ने के लिए मशीन भी नहीं है।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि अनुबंध सिस्टम से ही होता है, इसे बनाने वाले मंगल ग्रह से नहीं आते और पूछा कि इसे अनुबंध का हिस्सा क्यों नहीं बनाया जा सकता। बता दें कि याचिका में कहा गया है कि पूर्व में कोर्ट के आदेश के आलोक में गठित हाई पावर कमेटी ने 14 इंच या इससे अधिक मोटाई वाले पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने का निर्णय लिया था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने इसे घटाकर सात इंच कर दिया।
याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि यह बदलाव किस आधार पर किया गया। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था, जो अब तक दाखिल नहीं किया गया है। इधर, एनएचएआई ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
याचिका इंद्रजीत सामंथा ने दायर की है। गौरतलब है कि रांची के डोरंडा में सड़क चौड़ीकरण के दौरान कल्पतरु नामक पेड़ को काटे जाने से संबंधित खबर पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और सुनवाई के बाद मामले का निपटारा कर दिया था।
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