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    झारखंड में आवास बोर्ड के लीज शर्तों की अनदेखी, दायरे में भाजपा-आजसू के कार्यालय भी शामिल

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 09:43 PM (IST)

    रांची की हरमू हाउसिंग कॉलोनी में आवासीय भूखंडों का बड़े पैमाने पर अवैध व्यावसायिक उपयोग जारी है। झारखंड राज्य आवास बोर्ड की लीज शर्तों और हाईकोर्ट के ...और पढ़ें

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    हरमू हाउसिंग कॉलोनी। (जागरण)

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड राज्य आवास बोर्ड की हरमू हाउसिंग कॉलोनी में आवासीय जमीन के बड़े पैमाने पर गैरकानूनी व्यावसायिक उपयोग का मामला दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है।

    स्थिति यह है कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश, सरकार की नियमावली और स्वयं आवास बोर्ड द्वारा जारी नोटिस भी अतिक्रमण और नियम उल्लंघन को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं।

    इस दायरे में राजनीतिक दल भाजपा और आजसू पार्टी के कार्यालय भी शामिल हैं। कॉलोनी में वर्षों से आवासीय भूखंडों और भवनों का व्यावसायिक उपयोग चल रहा है।

    झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा कई मामलों में स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। उल्लेखनीय है कि झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा एलपीए संख्या 22/2022 के तहत पारित न्यायादेश का अनुपालन नहीं हुआ है।

    आवास बोर्ड ने जुलाई 2022 में नगर विकास एवं आवास विभाग की अधिसूचना के नियमों का हवाला देते हुए कई लीजधारियों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में स्पष्ट किया गया था कि आवासीय भूखंडों का व्यावसायिक उपयोग पाए जाने पर आवंटन रद किया जा सकता है और संबंधित पक्षों को 15 दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

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    आदेश के तीन वर्ष बीतने के बावजूद न तो आवंटन रद हुए और न ही व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगी। इसपर आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान ने कुछ भी कहने से इनकार किया है।

    लीज डीड और नियमावली का खुला उल्लंघन

    आवास बोर्ड और लीजधारकों के बीच संपन्न इकरारनामे में स्पष्ट प्रावधान है कि आवासीय उपयोग के बदले व्यावसायिक उपयोग किए जाने पर आवंटन आदेश रद किया जा सकता है। इसके बावजूद कॉलोनी में 275 से अधिक आवंटियों द्वारा व्यावसायिक गतिविधियां संचालित किए जाने का आरोप है।

    झारखंड राज्य आवास बोर्ड (आवासीय भू-संपदा का प्रावधान एवं निस्तारण) नियमावली 2004 के अध्याय-2 की धारा 8(घ) के अनुसार, आवेदक या उसके परिवार के नाम पर संबंधित शहर के आठ किलोमीटर के दायरे में पहले से भूमि या मकान होने पर नया आवंटन नहीं किया जा सकता।

    आरोप है कि इस नियम की अनदेखी करते हुए कई प्रभावी लोगों ने एक से अधिक आवास और भूखंड हासिल कर रखे हैं।

    आवास योजना का उद्देश्य हुआ धूमिल

    हाउसिंग बोर्ड की स्थापना का मूल उद्देश्य उन लोगों को आवास उपलब्ध कराना था, जिनके पास रांची में रहने के लिए घर नहीं है। लेकिन आज हरमू हाउसिंग कॉलोनी में राजनीतिक दलों के कार्यालय, सरकारी उपक्रमों के दफ्तर, बैंक और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान संचालित हो रहे हैं। आवंटियों की सूची में बड़े नेता, अधिकारी और व्यापारी भी शामिल बताए जाते हैं।

    हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी

    इस पूरे मामले को लेकर कई प्रकरण पहले से अदालत में लंबित हैं। वहीं, सामाजिक संगठनों ने अब इसे लेकर जनहित याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है। हरमू के अलावा बरियातु हाउसिंग कॉलोनी में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण का मुद्दा उठ रहा है।

    रिम्स परिसर में अदालत के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाकर मकान तोड़े गए। अशोक नगर हाउसिंग सोसाइटी, न्यू एजी को-आपरेटिव कालोनी जैसी कई सहकारी आवास योजनाएं भी जांच के दायरे में आ सकती हैं, जहां आवासीय भूखंडों का व्यावसायिक उपयोग नियमों के विरुद्ध बताया जा रहा है।