कुंदन पाहन सरेंडर मामले में जवाब दे सरकार : हाई कोर्ट
झारखंड हाई कोर्ट ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।

जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन के सरेंडर मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने महाधिवक्ता से लिखित जवाब देने को कहा। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश पीके मोहंती और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में कुंदन पाहन के सरेंडर मामले में स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कोर्ट को बताया कि कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन का पुलिस ने रेड कारपेट वेलकम किया। एक हीरो की तरह उसने डीआइजी के आवासीय कार्यालय में आत्मसमर्पण किया। जबकि कुंदन पाहन हत्या, लूट सहित 128 मामले का आरोपी है। उन्होंने कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति गलत है। जिस पर सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति 2008 में बनी है। यह मामला मीडिया की रिपोर्ट पर आधारित है और पब्लिसिटी पाने के लिए किया गया है।
यह भी पढें: सलमान ख़ान ने महज 45 Minute में पहला मराठी गाना किया रिकॉर्ड
अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले में कोई जनहित याचिका अदालत में दाखिल नहीं की है। बल्कि उन्होंने मीडिया रिपोर्ट को अदालत के संज्ञान में लाया था जिस पर अदालत ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका में रूप में स्वीकार किया है। अपर महाधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि यह अति संवेदनशील मामला है इसलिए इस मामले में मीडिया रिपोर्ट पर रोक लगाई जाए। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
यह भी पढें: तंगी की मार झेल रहे परिवार ने की इच्छामृत्यु की मांग
अपर महाधिवक्ता इस मामले में अपनी दलील देने लगे जिस पर कोर्ट ने कहा कि आप लिखित में जवाब दें। सुनवाई के दौरान अदालत ने एमिकश क्यूरी हेमंत सिकरवार से पूछा कि क्या उन्होंने आत्मसमर्पण नीति को चुनौती दी है। जिस पर उन्होंने कहा कि वो इस नीति को चुनौती देने के लिए जल्द ही इंटर लोकेट्री(आइए) दाखिल करेंगे। अब इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।