रांची में टूट गई 131 करोड़ रुपये की नहर, किसानों को दोषी बता रहे इंजीनियर
तेनुघाट बांध अंचल ने गवाई बराज परियोजना में नहर टूटने पर इंजीनियरों और एजेंसी को नोटिस जारी किया है। 131 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना में ट्रायल के दौरान नहर का दो मीटर हिस्सा टूट गया। जल संसाधन विभाग ने इसकी जांच के लिए विशेष टीम गठित की है। इस परियोजना का उद्देश्य चास और चंदनकियारी के 54 गांवों के 80 हजार किसानों तक पानी पहुंचाना है।

जागरण संवाददाता, रांची। जल संसाधन विभाग ने तेनुघाट बांध अंचल के इंजीनियरों और गवाई बराज परियोजना में काम करने वाली एजेंसी को नोटिस जारी किया है।
नोटिस के माध्यम से पूछा गया है कि गवाई बराज परियोजना की नहर कैसे क्षतिग्रस्त हो गई। नहर में पानी छोड़ने के बाद दो मीटर हिस्सा टूटकर बह गया। साथ ही नहर क्षतिग्रस्त क्यों हुआ? इसके लिए विशेष टीम जांच करेगी।
तेनुघाट बांध अंचल के तहत 131 करोड़ रुपये की लागत से बहुप्रतीक्षित गवाई बराज परियोजना का निर्माण किया गया है। ट्रायल के लिए गत सप्ताह 30 जुलाई को केनाल से नहर में आधा पानी छोड़ा गया था।
नहर में पानी पहुंचते ही कई जगह दरारें उभर गईं। चास प्रखंड के सिलफोर व डाबरबहाल गांव के बीच सियालगड़ा के नजदीक नहर का करीब दो मीटर हिस्सा टूट गया। जो हिस्सा टूटा है, वह मुख्य नहर से करीब 500 मीटर दूर है।
जल संसाधन विभाग की ओर से चास व चंदनकियारी की 12 पंचायतों के 54 गांवों के 80 हजार किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से गवाई बराज परियोजना का तैयार करवाया गया है।
अब तक इस परियोजना पर 131 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी परियोजना के तहत घटिया निर्माण कार्य की बात सामने आ रही है।
घटिया निर्माण की वजह से ही मुख्य नहर से जुड़ी शाखा नहर तेज बहाव में टूट गई। जबकि कैनाल से शतप्रतिशत पानी नहीं छोड़ा गया था। आधा ही पानी छोड़ा गया था।
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