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    कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में Shibu soren की तस्वीर वाला झंडा, आदिवासी नेता के रूप में मिली वैश्विक पहचान

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 11:57 PM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन की तस्वीर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के संग्रहालय में प्रदर्शित है जो उनकी वैश्विक लोकप्रियता का प्रतीक है। प्रवक्ता तनुज खत्री ने बताया कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में झामुमो का झंडा भी लहरा रहा है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उन्हें झारखंड आंदोलन का प्रतीक और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाला नेता बताया।

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    कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के संग्रहालय में शिबू सोरेन की तस्वीर वाला झंडा

    प्रदीप सिंह, रांची।  झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड आंदोलन के नायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन की लोकप्रियता केवल भारत तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी ख्याति ने वैश्विक स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी। विश्व प्रसिद्ध कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के संग्रहालय में उनकी तस्वीर का झंडा लहराता है। इसमें झामुमो का चुनाव चिन्ह तीर-कमान भी संग्रहित है।

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    कैंब्रिज विश्वविद्यालय जैसे विश्व प्रसिद्ध संस्थान में शिबू सोरेन का झंडा लहराना उनकी व्यापक स्वीकार्यता और प्रभाव का प्रतीक है। यह उपलब्धि झारखंड के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि शिबू सोरेन को कैंब्रिज में झारखंड के पर्याय के रूप में देखा जाता है।

    झामुमो के प्रवक्ता और रांची विश्वविद्यालय पीजी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. तनुज खत्री ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के दौरे के दौरान उन्होंने संग्रहालय में शिबू सोरेन की तस्वीर और तीर-कमान देखा। कैंब्रिज कैंपस में झामुमो का झंडा और गुरुजी की तस्वीर वाला झंडा भी प्रदर्शित था।

    वहां के अधिकारियों ने बताया कि शिबू सोरेन को वे झारखंड आंदोलन के प्रतीक और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में जानते हैं। यह झारखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का सम्मान है। शिबू सोरेन की लोकप्रियता दलीय सीमाओं से परे थी।

    उनके निधन के बाद पांंच अगस्त को नेमरा में हुए अंतिम संस्कार में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी से लेकर अन्य दलों के नेताओं ने उनके योगदान को याद किया। शिबू सोरेन ने आदिवासी समुदाय के हक और पहचान के लिए आजीवन संघर्ष किया, जिसके कारण झारखंड 2000 में एक अलग राज्य बना।

    तनुज खत्री ने कहा कि कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालय में गुरुजी की तस्वीर और झामुमो का तीर-कमान देखकर गर्व हुआ। यह झारखंड आंदोलन की वैश्विक मान्यता है। शिबू सोरेन की सादगी, आदिवासी हितों के लिए समर्पण और सामाजिक न्याय की लड़ाई ने उन्हें जन-जन का नेता बनाया। उनके निधन से झारखंड ने एक युग पुरुष खोया, लेकिन उनकी विरासत कैंब्रिज से लेकर नेमरा तक अमर रहेगी।