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    हजारीबाग के जमीन घोटाला केस में ACB ने अधिकारी सहित सात पर दर्ज की FIR, तत्कालीन डीसी की बढ़ेगी मुश्किलें

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 09:01 PM (IST)

    भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हजारीबाग में खासमहाल की जमीन के फर्जीवाड़े में सात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की है जिनमें तत्कालीन खासमहाल पदाधिकारी भी शामिल हैं। एसीबी तत्कालीन डीसी विनय कुमार चौबे की भूमिका की भी जाँच करेगी। आरोप है कि 2.75 एकड़ जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर 23 लोगों को निबंधित किया गया। प्रारंभिक जाँच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद यह कार्रवाई हुई है।

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    हजारीबाग के जमीन घोटाला केस में एसीबी ने दर्ज की प्राथमिकी। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हजारीबाग में फर्जी दस्तावेज पर खासमहाल की जमीन की खरीद-बिक्री मामले में अधिकारी सहित सात पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की है।

    नामजद आरोपितों में तत्कालीन खासमहाल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा, बसंती सेठी, उमा सेठी, इंद्रजीत सेठी, राजेश सेठी, विजय प्रताप सिंह व सुजीत कुमार सिंह शामिल हैं। हजारीबाग के तत्कालीन डीसी आईएएस विनय कुमार चौबे की भूमिका को भी एसीबी जांचेगी।

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    पूरा मामला वर्ष 2008 से 2010 के बीच का है। तब हजारीबाग के डीसी आईएएस विनय कुमार चौबे थे। हजारीबाग में खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कर 23 निजी लोगों को निबंधित किया गया था।

    इस मामले में वर्ष 2015 में हुई प्रारंभिक जांच (पीई) में पुष्टि के बाद एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी।

    राज्य सरकार की मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से अनुमति के बाद एसीबी ने यह प्राथमिकी दर्ज की है। इस कांड के शिकायतकर्ता एसीबी के थाना प्रभारी सौरभ लकड़ा बने हैं।

    प्रारंभिक जांच में हुआ था फर्जीवाड़ा का खुलासा

    हजारीबाग में खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जीवाड़ा मामले में एसीबी ने वर्ष 2015 में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। जांच में यह खुलासा हुआ था कि उक्त जमीन 1948 में सेवायत ट्रस्ट को 30 वर्षों की लीज पर दिया गया था, जिसका लीज 1978 में समाप्त हुआ था।

    इसके बाद जमीन जस की तस पड़ी थी। 2008 से 2010 के बीच प्रशासनिक साजिश के तहत उक्त जमीन को 23 निजी लोगों को निबंधित किया गया था। इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन की प्रकृति बदली गई थी।

    जांच में यह भी सामने आया है कि हजारीबाग के तत्कालीन डीसी आईएएस विनय कुमार चौबे लीज नवीनीकरण के आवेदन से सेवायत ट्रस्ट जानबूझकर हटवाया। जिसके बाद ही 23 निजी लोगों में उक्त करोड़ों रुपये की जमीन का निबंधन हुआ था।

    वर्तमान में इस जमीन पर बड़ी बड़ी इमारतें हैं। बताया गया है कि इस जमीन की खरीद-बिक्री में झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश की भी अवहेलना हुई है, जिसमें अदालत ने 26 जुलाई 2005 को एक आदेश जारी किया था कि हीरालाल सेठी और पन्नालाल सेठी अथवा उनके उत्तराधिकारी ट्रस्ट सेवायत की भूमि को किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकते।