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    झारखंड में GST घोटाले के सभी मामलों पर ED की नजर, धनबाद वाले केस को कर सकती है टेकओवर

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 09:02 PM (IST)

    ईडी अब धनबाद में जीएसटी घोटाले की जांच करेगी जमशेदपुर के बाद यह कदम उठाया गया है। धनबाद में 200 करोड़ के जीएसटी घोटाले में दो व्यवसायी गिरफ्तार हुए हैं जिन पर फर्जी कंपनियां बनाकर चालान जारी करने का आरोप है। ईडी ने पहले जमशेदपुर में भी ऐसे ही मामले में कार्रवाई की थी जिसमें कई गिरफ्तारियां हुई थीं और करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई थी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। जमशेदपुर के बाद अब धनबाद में जीएसटी घोटाले से संबंधित केस को भी ईडी टेकओवर करेगी। राज्य में जीएसटी घोटाले से संबंधित सभी मामलों पर ईडी की नजर है। सभी केस का ईडी अध्ययन कर रही है। जल्द ही अन्य मामलों में भी केस दर्ज करेगी।

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    जमशेदपुर स्थित जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की टीम ने झारखंड के धनबाद में 200 करोड़ के जीएसटी घोटाले में दो व्यवसायियों अवनीश जायसवाल व फैजल खान को गिरफ्तार किया है।

    दोनों पर 12 फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी चालान जारी करने का आरोप है। अवनीश जायसवाल धनबाद के हीरापुर के निवासी हैं, जबकि फैजल खान धनबाद के मटकुरिया के रहने वाले हैं।

    पूर्व में ईडी ने जमशेदपुर में जीएसटी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के क्रम में बड़ा मामला पकड़ा है।

    ईडी ने जांच के क्रम में आठ मई को चार आरोपितों जमशेदपुर के जुगसलाई के कारोबारी अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया, कोलकाता से शिवकुमार देवड़ा, मोहित देवड़ा व अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया था।

    ईडी ने जांच में पाया कि आरोपितों ने 135 कागजी कंपनियां बनाई और उसकी मदद से 5000 करोड़ का फर्जी चालान जारी कर 730 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लिया था।

    जेल में बंद हैं आरोपित

    सभी आरोपित वर्तमान में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं। ईडी ने आरोपितों के ठिकाने से 29 लाख रुपये नकदी जब्त की थी। सभी 135 कागजी कंपनियों के बैंक खातों में जमा 63 लाख रुपये को फ्रीज कराया था। उनकी 5.30 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्ति भी जब्त की थी।

    धनबाद में पकड़ा गया जीएसटी घोटाले का मामला भी जमशेदपुर की तरह ही मिलता-जुलता है। वहां भी कागजी कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल जारी करने व उसके आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने का मामला सामने आया है। मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के क्रम में और भी बड़े मामले उजागर होने की संभावना है।