Ranchi Land Scam: निलंबित IAS छवि रंजन सहित 9 आरोपितों पर चलेगा मुकदमा, ED को पेश करने होंगे सबूत
रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन सहित नौ आरोपितों पर बरियातू के चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में आरोप तय किए गए हैं। ईड ...और पढ़ें

राज्य ब्यू्रो, रांची। ईडी कोर्ट ने बरियातू के चेशायर होम रोड स्थिति एक एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में मंगलवार को रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन सहित नौ आरोपितों के खिलाफ आरोप गठित किया गया। ईडी के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार की अदालत ने ईडी को मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मामले में छवि रंजन, कारोबारी अमित कुमार अग्रवाल, सत्ता के करीबी प्रेम प्रकाश, कारोबारी विष्णु अग्रवाल, दिलीप घोष, भरत प्रसाद, इम्तियाज अहमद, अफसर अली और सद्दाम पर आरोप गठित किया गया है।
खारिज हो चुकी डिस्चार्ज याचिका
पिछले दिनों कोर्ट ने मामले के सभी आरोपितों की ओर से दाखिल डिस्चार्ज याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी थी। एक आरोपित राजेश राय अदालत नहीं पहुंचा। इससे पूर्व अदालत ने उपस्थित आरोपितों से उसके ऊपर लगे आरोपों के बारे में पूछा।
इस पर आरोपितों ने मामले में अपने आप को निर्दोष बताया और कहा कि आगे ट्रायल फेस करेंगे। आरोप गठन के दौरान ईडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका मौजूद थे।
जेल में हैं पांच आरोपित
मामले को लेकर ईडी ने चार जुलाई 2023 को भरत प्रसाद एवं राजेश राय के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच के दौरान पूर्व डीसी छवि रंजन सहित आठ आरोपितों का नाम सामने आया। फिलहाल पांच आरोपित जेल में है।
आदेश का पालन नहीं करने पर उच्च शिक्षा सचिव हाई कोर्ट में तलब
वहीं, एक अन्य मामले में झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर दाखिल अवमानना याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। अदालत ने उनसे कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का कारण पूछा है।
कोर्ट ने कहा कि प्रधान सचिव के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने कोई कारण मान्य नहीं होगा, क्योंकि कोर्ट उन्हें एक सप्ताह पहले नोटिस जारी कर रही है। मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश का पालन नहीं करने पर प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला मानते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने पूछा था कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए। इस संबंध में अरुण कुमार व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया कि इस मामले में सरकार बेवजह टालमटोल कर रही है। उनकी ओर से पूर्व के कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया।
कहा गया कि कोर्ट ने पूर्व में आदेश का पालन नहीं करने पर विभाग पर कई बार जुर्माना भी लगाया है। अभी तक आदेश का पालन नहीं हुआ है। प्रार्थी प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति हुए थे। 1986 में उन्हें नियमित कर दिया गया। डेमोस्ट्रेटर के रूप में कार्य लिया जा रहा था। सरकार ने उनकी सेवा 1991 से नियमित मान रही है।
कोर्ट ने इनके पे स्केल यूजीसी के तहत और 1986 से सेवा मानकर लाभ देने का निर्देश दिया था। उक्त आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया है। जबकि सरकार का कहना है कि इस तरह के कई अन्य मामले हैं, जिनका निदान एक साथ होना है। मंत्री से लेकर कैबिनेट तक मामले को भेजा जाना है, इसलिए देरी हो रही है।

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