मानसून सत्र में आएगा धर्मांतरण निषेध बिल, कड़े होंगे प्रावधान
धर्मांतरण निषेध बिल में प्रलोभन या जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की स्थिति में कड़े सजा के प्रावधान किए जाएंगे।

आनंद मिश्र, रांची। आदिवासी हितों को लेकर विपक्ष से चल रहे सीधे टकराव के बीच राज्य सरकार ने मानूसन सत्र में धर्मांतरण निषेध बिल लाने की तैयारी कर ली है। सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक के मसले पर एक कदम पीछे खींचने वाली राज्य सरकार ने धर्मांतरण बिल के माध्यम से बड़े राजनीतिक पलटवार की तैयारी की है। राज्य सरकार की मंशा बिल को 11 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में पेश करने की है।
पिछले कई वर्षो से धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सरकार से विधेयक लाने की मांग की जा रही थी। पलामू में हुई भाजपा की पिछली कार्यसमिति में भी धर्मांतरण निषेध बिल लाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। पिछले दिनों गुमला में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने धर्मातरण निषेध बिल लाने की घोषणा भी की थी। राज्य सरकार धर्मातरण निषेध बिल को लेकर गुजरात, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पारित विधेयक का अध्ययन कर रही है।
जबरन धर्मांतरण कराया तो सजा और जुर्माना दोनों
धर्मांतरण निषेध बिल में प्रलोभन या जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की स्थिति में कड़े सजा के प्रावधान किए जाएंगे। माना जा रहा है कि ऐसा करवाने वालों को जेल के साथ-साथ जुर्माना भी भरना होगा। महिला, अनुसूचित जाति व जनजाति के मामले में सजा की अवधि बढ़ाई जा सकती है। नाबालिग का धर्मांतरण नहीं कराया जा सकेगा।
धर्म परिवर्तन करने वाले को लेनी होगी जिला प्रशासन से अनुमति
यदि कोई व्यक्ति अपनी सहमति से धर्म परिवर्तन के लिए राजी होता है तो उसे जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। उसे शपथ पत्र देना होगा कि वह बिना किसी डर, दबाव या लालच के ऐसा कर रहा है। धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक पुरोहितों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा।
अभी सात राज्यों में है यह कानून
अभी देश के सिर्फ सात राज्यों में धर्मांतरण रोकने वाले कानून हैं। इनमें ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं।
कड़े होंगे प्रावधान
धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति को लेनी होगी जिला प्रशासन की अनुमति
-महिलाओं और अनुसूचित जनजाति के जबरन धर्मांतरण पर बढ़ेगी सजा
-नाबालिग का नहीं कराया जा सकेगा धर्मांतरण
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