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    आजादी के समय देश में भाजपा का शासन होता तो पिछड़ा, दलित, आदिवासी को आरक्षण और उनके मूल अधिकार नहीं मिलते : कांग्रेस

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 02:14 PM (IST)

    झारखंड में कांग्रेस नेता प्रदीप यादव ने घोषणा की है कि पार्टी ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संघर्ष करेगी जिसका लक्ष्य 77% आरक्षण है। उन्होंने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि उनके शासन में बोलने की आजादी नहीं होती। इस मांग को लेकर 6 अगस्त को राजभवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।

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    कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने की प्रेसवार्ता।

    राज्य ब्यूरो, जागरण रांची। आजादी के समय यदि देश में भाजपा का शासन होता तो पिछड़ा, दलित, आदिवासी और वंचित समाज के लिए संविधान में आरक्षण और उनके मूल अधिकार का समावेश नहीं होता।

    उक्त आरोप कांग्रेस विधायक दल नेता प्रदीप यादव ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार आरक्षण मे वृद्धि संबंधित विधेयक को लटका रही है।

    झारखंड में लगभग 55 प्रतिशत और पूरे देश में 52 प्रतिशत आबादी पिछड़ों की है। संविधान में भी इस वर्ग के लिए स्पष्ट रूप से आरक्षण का प्रविधान है। कांग्रेस ने खरगे एवं राहुल के नेतृत्व में जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी को लेकर वंचित समाज को हक दिलाने के लिए संघर्ष छेड़ा है।

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    यह तभी संभव है कि जब 50 प्रतिशत आरक्षण के बैरियर को हटाया जाए। 1993 में तमिलनाडु की सरकार ने 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को तोड़ते हुए 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की।

    केंद्र में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार ने 1994 में 76वां संविधान संशोधन करके उसे नौवीं अनुसूची में डाला तथा उसे कानून का रूप दिया।

    आज 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को मिलाकर तमिलनाडु में 79 प्रतिशत आरक्षण है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब भारत सरकार 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़कर ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दे सकती है तो जिसकी आबादी 50 से 60 प्रतिशत के बीच है उसके लिए सीमा क्यों नहीं तोड़ी जा सकती।

    कई राज्यों ने जिसमें झारखंड सहित कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ ने अपने विधानसभा से इस सीमा को तोड़ने का प्रयास किया है। भारत सरकार इस पर चुप्पी साध कर बैठी है। मोदी सचमुच अगर देश के बड़े वर्ग के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आरक्षण की लक्ष्मण रेखा को मिटाएं।

    झारखंड में भी 2 वर्ष पहले दो-दो बार विधानसभा से पारित कर इस आरक्षण की सीमा को तोड़ा गया लेकिन पहले राजभवन इस पर चुप था और अब केंद्र चुप है। हम इस चुप्पी को तुड़वाने का प्रयास करेंगे।

    झारखंड में आदिवासी के लिए 28, दलितों के लिए 12 और पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की अनुशंसा की गई है। ईडब्ल्यूएस के 10% को मिलाकर यह 77 प्रतिशत होता है।

    इसके लिए हमारे संघर्ष की पहली लड़ाई राजभवन के सामने ओबीसी विभाग की अगुवाई में 6 अगस्त को 11:30 बजे से महा धरना एवं प्रदर्शन के माध्यम से शुरू होगी। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा,सोनाल शांति आदि उपस्थित थे।