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    घाटशिला उपचुनाव 2025: कांग्रेस का झामुमो प्रत्याशी को समर्थन का निर्देश, बलमुचु को झटका

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 05:25 PM (IST)

    घाटशिला उपचुनाव में कांग्रेस ने झामुमो उम्मीदवार सोमेश सोरेन को समर्थन देने का ऐलान किया। एआईसीसी ने जेपीसीसी और डीसीसी को झामुमो की जीत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। भाजपा का उम्मीदवार अभी तय नहीं चंपई सोरेन के लड़ने की अटकलें। 2024 में रामदास सोरेन ने चंपई के बेटे को हराया था। गठबंधन वोटों को एकजुट करने में जुटा।

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    बलमुचु जैसे नेताओं को साफ संदेश झामुमो का करें समर्थन।

    राज्य ब्यूरो, रांची। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने झारखंड के घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किया है।

    एआईसीसी ने झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेपीसीसी) और पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

    एआईसीसी के प्रभारी के. राजू ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ता झामुमो प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओं को एकजुट करें, ताकि कोल्हान क्षेत्र में सत्तारूढ़ गठबंधन की स्थिति और मजबूत हो।

    रामदास के बेटे होंगे जेएमएम प्रत्याशी 

    झामुमो ने इस उपचुनाव के लिए स्वर्गीय शिक्षा मंत्री और पूर्व घाटशिला विधायक रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

    रामदास सोरेन, जो तीन बार विधायक रहे और झामुमो के वरिष्ठ नेता थे, का निधन 15 अगस्त को हुआ, जिसके कारण यह उपचुनाव हो रहा है।

    सोमेश ने हाल ही में घाटशिला में हुई झामुमो की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “यह चुनाव केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि घाटशिला के लोगों के अधिकार और सम्मान की लड़ाई है।” उन्होंने अपने पिता की जनसेवा और आदिवासी कल्याण की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

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    बलमुचु जैसे नेताओं को झटका

    कांग्रेस के इस फैसले से पहले पार्टी के भीतर कुछ चर्चाएं थीं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचु और कुछ अन्य स्थानीय नेताओं ने उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी की बात उठाई थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का भी बलमुचु को समर्थन मिल रहा था।

    अब एआईसीसी ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि कोई अलग उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा और बयानबाजी पर तत्काल रोक लगाई जाए।

    यह कदम गठबंधन की एकता बनाए रखने और वोटों के बंटवारे से बचने के लिए उठाया गया है। कोल्हान क्षेत्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने 14 में से 11 सीटें जीती थीं, और यह गठबंधन अपनी इस मजबूती को बरकरार रखना चाहता है।

    चम्पाई हो सकते हैं भाजपा उम्मीदवार

    विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन इस चुनाव में उतर सकते हैं।

    चंपई ने अगस्त 2024 में झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और वह क्षेत्र में सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं। उनके बेटे बाबूलाल सोरेन ने 2024 के चुनाव में घाटशिला सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था।

    लेकिन रामदास सोरेन से 22,446 वोटों के अंतर से हार गए थे। यदि चम्पाई चुनाव लड़ते हैं, तो यह मुकाबला और भी रोचक हो सकता है, क्योंकि वह कोल्हान क्षेत्र में एक प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं।

    हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा कोल्हान के आदिवासी-बहुल क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है, जहां उसे 2019 में कोई सीट नहीं मिली थी।

    चंपई का हालिया सोशल मीडिया पोस्ट “जोहार घाटशिला,” जिसमें वह अपने बेटे बाबूलाल के साथ नजर आए, ने उनकी उम्मीदवारी की अटकलों को और हवा दी है।

    हेमंत भी कर चुके हैं दौरा

    झामुमो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में, कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हेमंत ने बहारागोड़ा विधायक समीर मोहंती को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है, जो संगठनात्मक स्तर पर मजबूत रणनीति का संकेत है।

    यह भी चर्चा है कि अगर सोमेश सोरेन यह सीट जीतते हैं, तो उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, जिसे झामुमो की क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

    कोलकाता यात्रा के दौरान भी हेमंत रामदास के परिवार से मिल कर आश्वासन दे चुके हैं। घाटशिला उपचुनाव, जो रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है, एक हाई-प्रोफाइल मुकाबले की ओर बढ़ रहा है।

    झामुमो-कांग्रेस गठबंधन अपने मतदाताओं को एकजुट करने में जुटा है, जबकि भाजपा चंपई सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाकर इस क्षेत्र में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

    निर्वाचन आयोग छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने की तैयारी कर रहा है, और मतदान केंद्रों का निरीक्षण शुरू हो चुका है।

    जैसे-जैसे राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं, घाटशिला, जो भावनात्मक और राजनीतिक रूप से दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है, पर सबकी नजरें टिकी हैं।

    इस उपचुनाव का परिणाम झारखंड की आदिवासी राजनीति और कोल्हान क्षेत्र के चुनावी समीकरणों पर गहरा प्रभाव डालेगा।