Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आगे बढ़ना है तो आलोचनाओं का स्वागत करना होगा: रघुवर

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Mon, 11 Sep 2017 12:43 PM (IST)

    मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि यदि आलोचना नहीं होगी तो लोकतंत्र का अस्तित्व नहीं बचेगा।

    आगे बढ़ना है तो आलोचनाओं का स्वागत करना होगा: रघुवर

    प्रदीप सिंह/आनंद मिश्र, रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरकार के हजार दिन पूरे होने के अवसर पर दैनिक जागरण की टीम के साथ अपने हजार दिन की उपलब्धियों के साथ ही भावी योजना और रणनीति पर खुलकर चर्चा की। 

    आपके नेतृत्व में बनी सरकार 1000 दिन पूरे करने जा रही है। सबसे ज्यादा फोकस किन क्षेत्रों पर रहा, अब आने वाले दिनों में क्या प्राथमिकताएं होंगी?

    सरकार में आने के बाद मैंने महसूस किया कि आम जन का भरोसा शासन और प्रशासन के प्रति उतना नहीं है जितना होना चाहिए। भले ही यह मेरे लिए चुनौती थी लेकिन मैंने इसे अवसर के रूप में लिया। आज मैं यह कहने की स्थिति में हूं कि आम लोगों का भरोसा शासन और प्रशासन के प्रति लौटा है। ऐसा नहीं होता तो आज राज्य में विकास को लेकर बहस नहीं होती। हमने किसी एक क्षेत्र पर फोकस नहीं किया। कृषि, उद्योग, पर्यटन, पशुपालन, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित तमाम क्षेत्र में काम करने का अवसर हैं। हमारी सरकार ने प्रयास किया कि पहले हम नीतियां बनाएं फिर उनके अनुरूप आगे बढ़ें। मुश्किलों के बावजूद लगभग सभी क्षेत्रों में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारा प्रयास होगा कि विकास की जो नींव डाली गई है उस पर इमारत खड़ी की जा सके।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे ज्यादा किन क्षेत्रों में चुनौतियां हैं? ऐसे कौन से सेक्टर हैं जहां काम की गति धीमी है और मुश्किलें पेश आ रहीं हैं?

    जब मैं सरकार में आया तो चुनौतियां मेरे सामने मुंह बाये खड़ी थीं। हालांकि, हमारी सरकार, जिसमें मेरे अलावा मंत्री और अधिकारी भी शामिल हैं, ने टीम झारखंड के तौर पर काम किया। यही वजह है कि सरकार ने विकास के रास्ते पर बढ़ने का जो निर्णय लिया था उसके परिणाम अब दिखने लगे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे बड़े सेक्टर थे जिसमें तेजी से काम करने की जरूरत थी। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है। अगले एक-दो सालों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी व्यापक परिवर्तन नजर आएगा। सरकार की प्राथमिकता है कि सभी को शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिले।

    नक्सलियों के खात्मे का आपका दावा व्यवहारिकता में कहां तक संभव है? खासकर तब जबकि अभी तक सुदूर और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस-प्रशासन की ठीक से पहुंच तक नहीं हो पा रही है? क्या इसे सिर्फ पुलिस की कार्रवाई एवं प्रशासनिक दबाव से इसे खत्म किया जा सकता है?

    आप स्वयं अनुमान लगाएं कि 1000 दिन में झारखंड में नक्सल घटनाएं बढ़ी हैं या घटी हैं? मेरी सरकार में अब तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई है जिससे यह कहा जाए कि नक्सल का प्रभाव अब भी बना हुआ है। सरकार का एक ही फामरूला है या तो वो मुख्यधारा में लौट आएं नहीं तो पुलिस उन्हें ढूंढ निकालेगी। कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्य को तेज गति दी गई है।

    समानांतर शासन के प्रयास हो रहे हैं। इससे निपटने की क्या रणनीति है? खूंटी में दो बार पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों पर हमले तथा रांची में भाजपा कार्यालय समेत भाजपा के समारोह स्थल पर हमले जैसी घटनाएं क्या कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती नहीं है? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

    देश में लोकतंत्र है, संविधान है। इसका सभी को इसका आदर करना चाहिए। लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है। लेकिन लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। इसी लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए झारखंड से भगवान बिरसा मुण्डा, सिदो-कान्हो, तिलका मांझी, शेख भिखारी, विश्वनाथ शाहदेव सहित कई महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी दी है। यह हमारी व्यवस्था नहीं आस्था है। इस आस्था को कोई भी ठेस पहुंचाने का काम करे, भले वो रघुवर दास ही क्यों न हों, कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

    विपक्षी दलों सहित ईसाई मिशनरियों के समूह ने धर्म स्वतंत्र विधेयक की आलोचना की है। भूमि अधिग्रहण विधेयक का भी विरोध हो रहा है।

    लोकतंत्र में आलोचना करने का अधिकार सभी का है। लोकतंत्र की शक्ति ही आलोचना में है। यदि आलोचना नहीं होगी तो लोकतंत्र का अस्तित्व नहीं बचेगा। यदि आगे बढ़ना है तो आलोचनाओं का स्वागत करना होगा।

    राज्य में सबसे ज्यादा वक्त तक भाजपा का शासनकाल रहा है फिर भी तुलना चौदह साल बनाम 1000 दिन के कामकाज से हो रही है। विपक्ष इसे लेकर भी भाजपा पर निशाना साध रहा है।

    14 साल तक झारखंड में राजनीतिक स्थिरता का अभाव रहा। ऊपर से कांग्रेस और राजद जैसे दलों ने झारखंड को प्रयोगशाला बनाकर रखा। यही वजह है कि सत्ता बनाने और गिराने का खेल लंबे समय तक चलता रहा। भाजपा की सरकार हो या झामुमो की या फिर मधु कोड़ा की, सभी इस प्रयोगशाला का शिकार बनते रहे। इस वास्तविकता को झारखंड की जनता समझ चुकी थी। यही वजह है कि 2014 में जनता ने भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार को पूर्ण बहुमत दिया।

    आपका बिजली की उपलब्धता एवं राज्य भर में विद्युतीकरण पर फोकस रहा है। दावा अगले साल तक बिजली की संपूर्ण उपलब्धता का है लेकिन अभी तो राजधानी की बिजली व्यवस्था ही लचर है। इस स्थिति से कैसे निपटेंगे? बिजली उत्पादन बढ़ाने और वैकल्पिक ऊर्जा (सोलर ऊर्जा) की यूनिटें लगाने की योजनाओं की क्या प्रगति है?

    जब मै सत्ता में आया तो देखा कि राजधानी सहित पूरे राज्य में बिजली व्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। जनवरी 2015 में मैंने जब बिजली विभाग की समीक्षा की तो पाया कि यहां आधारभूत संरचना की काफी कमी है। 68 साल में राज्य में रहने वाले 68 लाख परिवारों में से सिर्फ 38 लाख परिवार तक ही बिजली पहुंच पाई है। फिर हमारी सरकार ने योजना बनाकर काम करना शुरू किया। अंडर ग्राउंड केबलिंग का काम शुरू हो गया है। पुराने पोल-तार बदले जा रहे हैं। पूरे राज्य में खराब ट्रांसफार्मर बदले गए हैं। 1000 दिन में बाकी बचे 30 लाख परिवार में से 8 लाख परिवार तक बिजली पहुंचा दी गई है। शेष 22 लाख घर तक बिजली पहुंचाने के लिए 60 ग्रिड और 257 सब-स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। 2018 तक हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार की इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि लातेहार के गारू, लोहदरगा के पेशरार, चाईबासा के गुदड़ी जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में इस सरकार ने बिजली पहुंचा दी है। इन क्षेत्रों में आज तक कोई नहीं पहुंचा था। मैंने खुद वहां जाकर विकास का कार्य शुरू कराया है।

    पलायन की समस्या पर आपने कई बार ध्यान दिलाया है। इसे रोकने के प्रयासों को कितनी सफलता मिल पाई है?

    झारखंड जैसे समृद्धशाली राज्य में पलायन की समस्या हम सबके लिए दुखदायी है। पलायन रोकने के उद्देश्य से ही मैंने मोंमेंटम झारखंड का आयोजन किया था। यहां जब पूंजी निवेश होगा तो काफी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। अभी हाल ही में ओरियंट क्राफ्ट जैसी कंपनी ने उत्पादन शुरू किया है, जिसमें यहां के 900 लोगों को रोजगार मिला है। सरकार का प्रयास है कि यहां के लोगों को यहीं रोजगार मिले।

    यह भी पढ़ेंः हमने बदली झारखंड की छवि, पहले हुआ सिर्फ शोषणः रघुवर दास

    यह भी पढ़ेंः झारखंड में सबका स्वास्थ्य बीमा कराएगी सरकार

    comedy show banner
    comedy show banner