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    पेसा कानून को CM हेमंत सोरेन ने जनजातीय सम्मान की रक्षा का बड़ा कदम बताया, जानकारी जन-जन तक पहुंचाने का निर्देश

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय सरना समिति और अन्य प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडलों ने पेसा नियमावली को मंत्रिपरिषद से मंजूरी देने प ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फोटो-एक्स)

    राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शुक्रवार को केंद्रीय सरना समिति, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा एवं आदिवासी बालक-बालिका छात्रावास, रांची के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार द्वारा पेसा नियमावली (पंचायत उपबंध, अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम) को मंत्रिपरिषद से मंजूरी दिए जाने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। ढोल-नगाड़ों की गूंज और उत्साहपूर्ण माहौल के बीच प्रतिनिधिमंडल ने इस निर्णय को जनजातीय समाज के लिए ऐतिहासिक बताया।

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    मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो दिनों से राज्य के गांव, कस्बों और शहरों से लोगों की भावनाएं और उत्साह उनके पास पहुंच रहे हैं। यह दर्शाता है कि पेसा नियमावली को लेकर समाज में व्यापक उम्मीद और विश्वास है। उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी-मूलवासी समाज ने जल, जंगल, जमीन और अपनी सभ्यता-संस्कृति की रक्षा के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है।

    यही संघर्ष झारखंड की पहचान और आत्मा है। झारखंड बलिदानियों की धरती है। यहां के वीर सपूतों ने अपनी संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए असंख्य यातनाएं सहीं, लेकिन संघर्ष कभी थमा नहीं। अलग झारखंड राज्य की परिकल्पना भी इसी संघर्ष का परिणाम थी। वर्षों की लड़ाई और आंदोलनों के बाद वर्ष 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ।

    राज्य गठन के बाद भी आदिवासी और मूलवासी समाज के अधिकारों पर कई बार चोट हुई, लेकिन जन-सरोकारों की आवाज लगातार उठती रही। जनता ने उन्हें राज्य की बागडोर सौंपी और इस जिम्मेदारी को निभाने में चुनौतियां भी आईं। बावजूद इसके जनआशीर्वाद और सच्ची नीयत के साथ सरकार आगे बढ़ती रही और आज झारखंड मजबूती के रास्ते पर है।

    पेसा से मजबूत होगा जनजातीय स्वशासन

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पंचायत व्यवस्था को सशक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पेसा कानून की मंजूरी जनजातीय स्वशासन, सम्मान और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम है। इसके लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा और स्थानीय स्तर पर शासन व्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि आदिकाल से झारखंड में निवास करने वाले जनजातीय समुदाय हमारी संस्कृति की आत्मा हैं और उनके स्वाभिमान व अधिकारों की रक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

    पेसा कानून की जानकारी जन-जन तक जरूरी

    मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 वर्ष का युवा झारखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में सरकार ने लगभग 10 हजार युवाओं को सरकारी नियुक्ति दी है और आगे भी रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाएंगे। पेसा नियमावली को व्यापक विचार-विमर्श के बाद कैबिनेट से मंजूरी दी गई है।

    उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे कानूनों और नियमों की जानकारी स्वयं भी रखें और दूसरों तक पहुंचाएं, ताकि इसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। कुछ तत्व ग्रामीण समाज को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं, इसलिए जागरूकता बेहद जरूरी है। सुदूर गांवों में रहने वाले सीधे-साधे लोगों को ठगने से बचाना और उनके अधिकार सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

    उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार गांव की सरकार है और जब गांव सशक्त होंगे तभी राज्य मजबूत बनेगा। प्रतिनिधिमंडल के उत्साह और विश्वास ने उन्हें और अधिक ऊर्जा के साथ काम करने की प्रेरणा दी है।

    इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अजय तिर्की, सचिव रूपचंद केवट, मुन्ना मिंज, प्रकाश अंश, अजय कच्छप, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के महासचिव जलेश्वर उरांव, केंद्रीय कोषाध्यक्ष बिरसा उरांव, केंद्रीय उपाध्यक्ष सोमे उरांव, जिला अध्यक्ष सोमदेव उरांव, संरक्षक सुधु भगत सहित आदिवासी बालक-बालिका छात्रावास के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।