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    Jagran Jal Sansad: दुबई में हरियाली छा सकती है तो रांची में क्यों नहीं?

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Wed, 15 May 2019 01:11 PM (IST)

    Jagran Jal Sansad. मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने कहा है कि जिस प्रदेश में 1100 से 1400 मिमी वर्षा हो वहां जल संकट पर चर्चा झारखंड से बाहर रहने वाले लो ...और पढ़ें

    Jagran Jal Sansad: दुबई में हरियाली छा सकती है तो रांची में क्यों नहीं?

    रांची, राज्य ब्यूरो। Jagran Jal Sansad - मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने कहा है कि जिस प्रदेश में 1100 से 1400 मिमी वर्षा हो, वहां जल संकट पर चर्चा झारखंड से बाहर रहने वाले लोगों को आश्चर्य में डाल देता है। बेहतर जलवायु के लिए रांची पूरे देश में जाना जाता है, परंतु आज परिस्थितियां बदल रही हैं। भूगर्भ जल स्तर तेजी से घटता जा रहा है।

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    कुछ इलाके ड्राई जोन घोषित हो चुके हैं। इसके बावजूद सवाल यह कि दो-ढाई दशक पूर्व तक रेगिस्तान सा दिखने वाले दुबई में जब हरियाली छा सकती है तो फिर रांची क्यों नहीं संवर सकती। दैनिक जागरण जल संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने जापान का हवाला दिया। कहा कि जल की कम से कम बर्बादी हो, इसके लिए वहां पेड़-पौधों की सिंचाई पाइप लाइन के सहारे होती है।

    भारत में अगर 90 फीसद पानी की बर्बादी हो रही है तो वहां इसका अनुपात महज तीन फीसद है। एक वक्त था, जब एक तालाब का इस्तेमाल विविध कार्यों में होता था और पानी की बर्बादी भी नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि आज की बदली हुई परिस्थिति में छोटे-छोटे प्रयासों से ही स्थिति सुधारी जा सकती है। हर क्षेत्र की भूमि रिचार्ज हो, इसके लिए जरूरी है कि हर स्थल पर इससे संबंधित संरचना विकसित की जाए।

    पेवर ब्लॉक का इस्तेमाल कर जहां हम बहुत हद तक भूगर्भ जल को रिचार्ज कर सकते हैं, वहीं वाश बेसिन से निकलने वाले बेकार पानी को फ्लश से जोड़कर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। बाथरूम के पानी का सिंचाई में इस्तेमाल कर हम पानी बचा सकते हैं। उन्होंने लोगों को पानी बचाने के इन उपायों पर आज से ही फोकस करने की नसीहत दी।

    इंग्लैंड में नगरपालिकाओं के खाते में जाता है सर्वाधिक टैक्स

    मुख्य सचिव ने कहा कि इंग्लैंड में आम जनता का सर्वाधिक टैक्स नगरपालिकाओं के खाते में जाता है। जिस तरह से शहरीकरण हो रहा है और शहरवासियों तक सुविधाएं पहुंचाने की जरूरत हो रही है, उसके लिए टैक्स जरूरी है। इससे इतर टैक्स बढ़ाने पर लोग यहां आंदोलन पर उतर आते हैं। लेकिन लोग मनोरंजन के अन्य साधनों पर 400-500 रुपये खर्च करने से गुरेज नहीं करते। ऐसे में लोगों को अपनी सोच बदलने की भी जरूरत है।