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    कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन ने हॉस्पिटल से भरी हुंकार, कहा- संताल परगना के लिए नासूर हैं बांग्लादेशी घुसपैठिए

    झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने ग्राम प्रधानों के सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ को संताल परगना के लिए नासूर बताया और कहा कि मांझी परगना को इस संबंध में जल्द निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि संविधान में मांझी परगना व्यवस्था को मान्यता मिली हुई है और यह बहुत बड़ी व्यवस्था है। उन्होंने हेमंत सरकार पर पेशा एक्ट लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

    By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 06 Oct 2024 08:31 PM (IST)
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    टीएमएच में भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन। (जागरण फोटो)

    संवाद सहयोगी, बरहेट (साहिबगंज)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट के भोगनाडीह में परगना एभेन बैसी की ओर से आयोजित ग्राम प्रधानों के सम्मेलन को पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन संबोधित करने वाले थे। इससे एक दिन पहले शनिवार को उनकी तबीयत खराब हो गई। उन्हें टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में भर्ती कराना पड़ा।

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    उन्होंने रविवार को टीएमएच से ही आनलाइन ग्राम प्रधानों को संबोधित किया। बांग्लादेशी घुसपैठ को संताल परगना के लिए नासूर बताते हुए कहा कि मांझी परगना को इस संबंध में जल्द निर्णय लेना होगा। मांझी परगना चाहे तो संताल और आदिवासियों की जमीन से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बेदखल कर सकते हैं।

    अस्पताल में भर्ती होने के कारण सभा में नहीं पहुंचने पर अफसोस जताते हुए सोरेन ने कहा कि 14 अक्टूबर को भोगनाडीह में बड़ी जनसभा होगी जिसमें मांझी परगना के लोग जुड़ेंगे। सभी को इस सभा में आने को कहा।

    उन्होंने कहा कि संविधान में मांझी परगना व्यवस्था को मान्यता मिली हुई है। यह व्यवस्था बहुत बड़ी व्यवस्था है। इसमें थाना के बड़ा बाबू से ऊपर के निर्णय भी हम लोग व्यवस्था में ले सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी हेमंत सरकार ने पेशा एक्ट लागू करने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की है। संताल में आदिवासियों की पूजा स्थल-सरना पर कब्जा किया जा रहा है। इसे घुसपैठियों से मुक्त कराना होगा।

    सिदो कान्हु की धरती को घुसपैठियों से बचाएं

    लोबिन बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा की झामुमो के चुनावी घोषणा पत्र में झारखंडियों को नौकरी, पेशा कानून, नियोजन नीति, स्थानीय नीति आदि की चर्चा थी लेकिन सरकार फेल हो गई। जब सरकार को चुनावी वायदों को याद दिलाया तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।

    उन्होंने कहा कि झारखंडियों के हित के लिए हमेशा आवाज बुलंद किया हूं। आगे भी लड़ेंगे। सिदो कान्हु की धरती को बांग्लादेशी घुसपैठियों से बचाना है। जल, जंगल व जमीन को बचाना है। झारखंड में ग्राम प्रधानों को अधिकार से वंचित रखा गया। बिना ग्राम सभा के योजनाएं पारित की जाती है।

    उन्होंने कहा कि आदिवासियों की घटती संख्या चिंता का विषय है। इसलिए झारखंड को बचाना है। सभी को संकल्प लेकर समृद्ध झारखंड बनाना है।

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