GST घोटाले में शामिल कारोबारियों ने चारा घोटाले की ताजा कर दी याद, स्कूटर व बाइक से ढोया स्क्रैप
झारखंड में जीएसटी घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच में ईडी को कुछ ऐसी जानकारियां मिली हैं जो चौंकाने वाली हैं। व्यवसायियों ने जिन ट्रकों से 25 से 30 टन स्क्रैप ढोने की जानकारी अपने बिल में दी थी उन ट्रकों के नंबर बाइक व स्कूटर के हैं। यानी कारोबारियों ने बाइक व स्कूटर से 25 से 30 टन स्क्रैप ढो लिया था।

राज्य ब्यूरो, रांची । Jharkhand में 730 करोड़ रुपये के GST Scam में मनी लांड्रिंग के तहत जांच के क्रम में ईडी को कुछ ऐसी जानकारियां भी मिली हैं, जो चारा घोटाले की याद को ताजा करती हैं।
व्यवसायियों ने जिन ट्रकों से 25 से 30 टन स्क्रैप ढोने की जानकारी अपने बिल में दी थी, उन ट्रकों के नंबर बाइक व स्कूटर के हैं। यानी कारोबारियों ने बाइक व स्कूटर से 25 से 30 टन स्क्रैप ढो लिया था।
इस पूरे प्रकरण में सात अगस्त को तीन राज्यों के आठ ठिकानों पर शुरू हुई ईडी की छापेमारी गुरुवार की शाम तक सात ठिकानों पर समाप्त हो गई थी।
शुक्रवार को सिर्फ महाराष्ट्र के नवी मुंबई निवासी अंकेश जैन उर्फ मल्लिक के नए ठिकाने पर छापेमारी हुई है। दो दिनों तक चली इस छापेमारी में ईडी को डिजिटल साक्ष्य मिले।
साथ ही हवाला से करोड़ों के लेन-देन से जुड़े सबूत, कागजी कंपनियां बनाकर उनके नाम पर हजारों फर्जी बिल तैयार कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ लेने संबंधित कई सबूत मिले हैं।
बरामद सभी सबूतों का ईडी अध्ययन कर रही है। आरोपितों ने बिना ई-वे बिल के ही लोहा, कोयला सहित अन्य सामग्री को एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री दिखाया है। कमीशन लेकर फर्जी जीएसटी बिल बेचा और इसके माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ लिया।
ईडी ने ऐसे किया फर्जीवाड़ा का खुलासा
- ईडी के अनुसंधान में पाया है कि मेसर्स पूजाशी इंटरप्राइजेज ने मेसर्स तिरूमाला इंटरप्राइजेज को स्क्रैप की बिक्री दिखाने के लिए तैयार कागज में खूब फर्जीवाड़ा किया।
- स्क्रैप की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किए गए जिन ट्रकों का नंबर दिया गया था वह बाइक का निकला। तैयार कागजात में एक नंबर टीएन28एएम 9803 और दूसरा यूपी21बीएम9302 था।
- ईडी ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि 9803 नंबर वाली गाड़ी ट्रक का नहीं बल्कि तमिलनाडू में ही पंजीकृत एक हीरो होंडा सीडी डान मोटरसाइकिल की है।
- वहीं 9302 नंबर वाले ट्रक की जांच में पाया गया कि वह यूपी के मुरादाबाद में पंजीकृत एक मोटरसाइकिल का नंबर है।
- दोनों कंपनियों के बीच जिन सामग्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया गया उसके लिए ई-वे बिल का उपयोग किया गया। जांच में ये सभी बिल फर्जी मिले हैं।ऐसे बिल जेनरेट ही नहीं हुए थे।
- मेसर्स पूजाशी से जुड़े इ-वे-बिल संख्या 711196176269 की जांच में पया गया कि उक्त बिल के जरिए दिल्ली से हावड़ा स्क्रैप की ढुलाई हुई है।
- इसके लिए जिस ट्रक एचआर37ई7267 का इस्तेमाल किया गया उसकी जांच में पाया गया कि दिल्ली से हावड़ा के बीच एक भी टोल प्लाजा से उक्त ट्रक नहीं गुजरा था।
- टोल प्लाजा से लिए गए ब्योरे में ट्रक का मूवमेंट सिर्फ हरियाणा से उत्तर प्रदेश के बीच मिला। वह ट्रक कभी दिल्ली गया ही नहीं।
महत्वपूर्ण दस्तावेज है ई वे बिल
ई-वे बिल माल की आवाजाही को ट्रैक करने और जीएसटी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह एक तरह का इलेक्ट्रानिक बिल होता है जो जीएसटी पोर्टल पर आनलाइन जेनरेट होता है।
यह जीएसटी व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल की आवाजाही के लिए अनिवार्य होता है। इसमें माल के परिवहन का पूरा विवरण होता है। इसमें आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर की जानकारी के साथ-साथ उक्त माल के मूल्य का पूरा ब्यौरा रहता है।
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