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    Jharkhand Politics: 'संताल परगना के टुकड़े-टुकड़े करना चाहती भाजपा', बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाने पर भड़की झामुमो

    Updated: Fri, 13 Sep 2024 07:58 PM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने घुसपैठ के मुद्दे पर हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के शपथपत्र को आधार बनाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है और वे संताल परगना के टुकड़े करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट की शर्तों को पार्टी कार्यालयों में नहीं लिखा जाना चाहिए और इस पर संज्ञान लेना चाहिए।

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    संताल परगना के टुकड़े-टुकड़े करना चाहती भाजपा: सुप्रियो। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने घुसपैठ पर हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के शपथपत्र को आधार बनाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है।

    पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। ये संताल परगना के टुकड़े-टुकड़े करना चाहते हैं। कोर्ट की शर्तें पार्टी कार्यालयों में नहीं लिखी जाए। इसपर संज्ञान लेना चाहिए।

    सुप्रियो ने कहा कि हाईकोर्ट में राज्य में घुसपैठ को लेकर केस चल रहा है। गुरुवार को शपथपत्र दायर हुआ। उसकी सुनवाई फिर मंगलवार को होगी। उसके पहले ही भाजपा का राजनीतिक बयान आ गया कि डेमोग्राफी बदल गई।

    उन्होंने कहा कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठिया है। भारत सरकार की तरफ से कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि बांग्लादेश से कुछ लोग संथाल परगना में आकर रह रहे हैं।

    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि शपथपत्र में 2011 की जनगणना को एक आधार बनाया गया। उसमें 1961 को बेसलाइन माना गया। मतलब 50 साल के समय को आधार बनाया गया। उसमें यह भी कहा गया कि तब आदिवासियों, मुस्लिमों और ईसाईयों की प्रतिशत इतनी थी। उसमें कहीं संख्या नहीं है।

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    सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि छह जिलों को लेकर न्यायालय में शपथ पत्र दायर किया गया। न्यायालय में यदि कुछ चल रहा है, तो पार्टी के दफ्तरों में क्यों उसकी आलोचना हो रही है।

    उन्होंने कहा कि न्यायालय की कोई भी कार्रवाई में राजनीतिक दल को यदि आना है तो उनको इंटरवेनर बनना पड़ेगा। क्या भाजपा इस केस की इंटरवेनर है, जो उनके दफ्तर में ये बात होती है।

    सुप्रियो ने कहा कि संथाल परगना में साहिबगंज, राजमहल पाकुड़ का इलाका बांग्ला भाषी है। भाषा से धर्म विभाजित नहीं होता है। ईसाई को अलग से इंडिकेट कर दिया। क्या वो आदिवासी से अलग हो गए?

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