बेटी को मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पर पिता को खबर भी नहीं, अंबेडकर आवास में मजदूरी करता है परिवार
अनुष्का कुमारी, ओरमांझी की एक गरीब मजदूर की बेटी, को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है। राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में चयनित अनुष्का के पिता को इस सम्मान की जा ...और पढ़ें

बेटी को मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पर पिता को खबर भी नहीं
आमोद कुमार साहू, ओरमांझी। प्रखंड की एक गरीब मजदूर की बेटी अनुष्का कुमारी को राष्ट्रपति भवन से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला, और गांव में अब भी सादगी भरी चुप्पी छाई है। ओरमांझी प्रखंड के रुक्का मुंडा टोली की 15 वर्षीय बेटी अनुष्का कुमारी को देश के सर्वाेच्च मंच से सम्मान मिला, लेकिन गांव तक इसकी पूरी गूंज अभी पहुंची ही नहीं है।
दैनिक जागरण का स्थानीय संवाददाता जब गांव पहुंचा तो अनुष्का के पिता दिलेश मुंडा गांव के एक पुलिया की दीवार पर चुपचाप बैठे मिले। उन्होंने उसकी बेटी को मिले सम्मान की कोई जानाकरी नहीं थी, बस इतना बताया, दो दिन पहले बेटी को प्रधानमंत्री ने बुलाया है, वह अपनी मां और बड़े भाई के साथ दिल्ली गई है।
वहीं अनुष्का के रिश्ते की चाची उषा टोप्पो सहित गांव वालों को बेटी की उपलब्धि की जानकारी नहीं है। बताया चचेरी बहन करीना कुमारी, रिमा कुमारी व गांव के काजल कुमारी के सहित बस्ती के पांच बेटियां भी फुटबाल खेती है।
टूटा घर, बड़े सपने, संघर्षों के बीच उड़ान
जिस बस्ती में अनुष्का रहती है, वहां अल्बेस्टर शीट से बने दो कमरों का टूटा-फूटा घर है। पास में फुटबाल खेलते बच्चे दिखते हैं, मानो उसी मिट्टी से सपनों का जन्म हो रहा हो। राष्ट्रीय फुटबाल टीम में चयन के बाद अनुष्का को अंबेडकर आवास मिला है, जिसका निर्माण शुरू हो चुका है। अनुष्का के पिता दिनेश मुंडा (45) दिव्यांग हैं।

वे फिल्ट्रेशन प्लांट रूक्का में मजदूरी करते थे। दो वर्ष पहले एक हादसे में फिटकरी से दबकर पैर टूट गया। उपचार में विभाग या कंपनी से कोई सहायता नहीं मिली, नतीजतन वे काम करने लायक नहीं रहे। परिवार की जिम्मेदारी मां रीता देवी और बड़े भाई आशीष कुमार पर है। दोनों मजदूरी कर घर चलाते हैं। अभी मां, पिता व भाई अपने निर्माणाधीन अंबेडकर आवास में ही मजदूरी करते हैं।
गांव से राष्ट्रीय फलक तक पहुंची बेटी
अनुष्का के पिता दिनेश मुंडा बताते हैं, अनुष्का गांव के सरकारी स्कूल में सातवीं तक पढ़ाई की। 18 वर्षीय बड़ा भाई आषीष मजदूरी करता है। वहीं 13 वर्षीय छोटा भाई एसएस +2 हाई स्कूल में नवीं कक्षा में पढ़ाई करता है। अनुष्का पढाई के साथ ही वह युवा टीम के साथ फुटबाल खेलने जाया करती थी।

उसकी प्रतिभा देखकर उसे हजारीबाग के कोचिंग सेंटर ले जाया गया। इसके बाद धनबाद, पंजाब, हरियाणा, भूटान, कोलकाता, बेंगलुरु, बंगाल, व जमशेदपुर उड़िसा से नेपाल जैसे स्थानों पर उसने अपनी खेल प्रतिभा दिखया। बेंगलुरु में शानदार प्रदर्शन के बाद उसका चयन राष्ट्रीय फुटबाल टीम में हुआ।
ओरमांझी की दो बेटियां की एक पहचान
अनुष्का से पहले ओरमांझी के सुदूवर्ती गांव चंदरा की दिव्यानी लिंडा भी भारतीय फुटबाल टीम में चयनित हो चुकी हैं। दिव्यानी की मां भी मजदूर हैं और वह रांची शहर में मजदूरी करने जाती हैं। दोनों बेटियों को राष्ट्रीय टीम में चयन होने के बाद सरकार की ओर से अंबेडकर आवास मिला है।
अनुष्का के आवास निर्माण में पुराने अल्बेस्टर मकान की ईंट का भी उपयोग हो रहा है। संघर्ष से संबल तक की यात्रा का प्रतीक गरीबी, बीमारी व अभावों के बीच पली-बढ़ी अनुष्का की सफलता सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि हजारों बेटियों के लिए संदेश है, प्रतिभा हालात की मोहताज नहीं होती। ओरमांझी की यह बेटी आज देश की शान बन चुकी है।

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