बिहार के जातीय सर्वे के बाद झारखंड में भी तेज मांग, राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर कांग्रेस ने चली पहली चाल
Jharkhand Politics बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद झारखंड की राजनीति भी इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। सत्तारूढ़ गठबंधन को इसमें राजनीतिक लाभ नजर आ रहा है। राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर झारखंड कांग्रेस ने इस मुद्दे को तेजी से लपका है। राजभवन के समक्ष पार्टी ने तत्काल धरना-प्रदर्शन का आयोजित किया।
राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार में जातीय जनगणना रिपोर्ट जारी होने के बाद झारखंड की राजनीति में भी इसी ज्वलंत मुद्दे के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। सत्तारूढ़ गठबंधन को इसमें राजनीतिक लाभ नजर आ रहा है। कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर इस मुद्दे को तेजी से लपका है।
राजभवन के समक्ष पार्टी ने तत्काल धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया। साथ ही, इस मामले को सरकार के समक्ष उठाकर अंजाम तक ले जाने का दावा भी दावा कर दिया।
उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसमें देरी नहीं की। एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने दो साल पहले इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी का हवाला दे दिया।
आबादी के मुताबिक मिले अधिकार: हेमंत सोरन
उल्लेखनीय है कि जाति आधारित जनगणना की मांग के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने एक सर्वदलीय शिष्टमंडल के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे की गंभीरता को भांपते हुए कहा कि आबादी के मुताबिक सबको अधिकार मिलना चाहिए।
यह भी याद दिलाया कि वे ओबीसी समेत अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति का राज्य में आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने संबंधी विधेयक पारित कर राजभवन भेज चुके हैं।
राजभवन ने लौटा दिया था विधेयक
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को राजभवन ने इस साल फरवरी में ही सरकार को वापस लौटा दिया था। इन दृष्टातों का हवाला देकर हेमंत सोरेन अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा को घेरना चाहते हैं। आगामी चुनावों में इस मुद्दे पर राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन भी हो रहा है।
क्या है मोर्चा का प्लान?
बिहार में जातीय गणना का परिणाम जारी होने से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के तरकश में इस प्रकरण से एक मारक तीर आ गया है। मोर्चा यह भी प्रचारित करेगा कि पूर्व में झारखंड में ओबीसी का आरक्षण 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत करने का निर्णय भी भाजपा के शासनकाल में हुआ था।
निशाने पर रहेगी भाजपा
जाहिर है, ऐसे में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा निशाने पर होगी। भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल यह भी है कि उसकी सहयोगी आजसू पार्टी जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है। फिलहाल दुविधा की स्थिति में भाजपा का प्रदेश नेतृत्व है।
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